मुरादाबाद में पीतल का काम, लखनऊ में चिकन का काम व भिवंडी में जरी का काम, यह सब कौन करेगा? भदोई में कारपेट कौन बुनेगा? और तो और ईंट-भट्ठों का तो भट्ठा ही बैठ जाएगा. कभी सोचा है आपने...
32.
साड़ियों पर जरी का काम करने वाली महिला ने बताया कि उसे दुकानों से काम मिलता है साथ ही काम के लिए धागा वग़ैरह भी दिया जाता है और साड़ी पर डिज़ाइन भी बना होता है, एक साड़ी पर वह जरी का काम तीन-चार दिन में कर लेती है जिसके उसे तीन चार सौ रूपए मिल जाते है।
33.
साड़ियों पर जरी का काम करने वाली महिला ने बताया कि उसे दुकानों से काम मिलता है साथ ही काम के लिए धागा वग़ैरह भी दिया जाता है और साड़ी पर डिज़ाइन भी बना होता है, एक साड़ी पर वह जरी का काम तीन-चार दिन में कर लेती है जिसके उसे तीन चार सौ रूपए मिल जाते है।
34.
साड़ियों पर जरी का काम करने वाली महिला ने बताया कि उसे दुकानों से काम मिलता है साथ ही काम के लिए धागा वग़ैरह भी दिया जाता है और साड़ी पर डिज़ाइन भी बना होता है, एक साड़ी पर वह जरी का काम तीन-चार दिन में कर लेती है जिसके उसे तीन चार सौ रूपए मिल जाते है।
35.
साड़ियों पर जरी का काम करने वाली महिला ने बताया कि उसे दुकानों से काम मिलता है साथ ही काम के लिए धागा वग़ैरह भी दिया जाता है और साड़ी पर डिज़ाइन भी बना होता है, एक साड़ी पर वह जरी का काम तीन-चार दिन में कर लेती है जिसके उसे तीन चार सौ रूपए मिल जाते है।