मत्स्यन, जल कृषि और संबंधित गतिविधियों ने, विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख अर्जक होने के अलावा, 2005-06 में 14 मिलियन से अधिक व्यक्तियों को आजीविका उपलब्ध कराई है।
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मछली उत्पादन और जल कृषि (मखाना, सिंघाड़ा आदि) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य में जल जमाव ग्रस्त क्षेत्रों के पूर्ण उपयोग को सुनिश्चित किया जाएगा।
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किसान खाद्दान्न फसल की खेती करने के लिए तथा बागवानी, जल कृषि पशु पालन पुष्प कृषि, रेशम पालन व्यावसाय में निवेश खरीदने के लिए ऋण हेतु आवेदन कर सकते हैं।
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हिमाचल प्रदेश (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं)-इस राज् य में, जल कृषि अधिकांशता गोविंद सागर तथा पोंग जलाशयों में की जाती है।
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यह हरित क्रांति (खाद्यान् न), श् वेत क्रांति (दुग् ध), पीत क्रांति (तिलहन) तथा नील क्रांति (जल कृषि) से होकर गुजरा है।
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खारे पानी की जल कृषि का विकास-यह योजना देश के खारे पानी के विशाल क्षेत्र का उपयोग श्रिम्प के पालन के लिए करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
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विभागीय रोड मेप में जानकारी दी गई कि कृषि की भाँति जल कृषि (एक्वाकल्चर) के लिये आनावरी लागू करने की अनुशंसा पर अमल के लिये भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जायेगा।
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' स्वच्छ पानी जल कृषि का विकास' की योजना में 2006-07 के दौरान, 22,984 हेक्टर का अतिरिक्त क्षेत्र मत्स्य कृषि के अंतर्गत लाया गया और 37,923 मछुआरों को उन्नत रीतियों का प्रशिक्षण दिया गया।
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सर्वोच्च न्यायालय ने पहले आदेश दिया था कि प्रदूषण फैलाने वाले जल कृषि (एक्वाकल्चर) फार्म्स को तटीय राज्यों में बन्द कर देना चाहिये, क्योंकि ये पर्यावरण संदूषण के साथ भूमि क्षरण भी करते हैं।
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जल कृषि के लिए 74000 पारिवार्षिक (बारहमासी), मौसमी तथा दीर्घ मौसमी टैंक, मत् स् यतालान तथा मीठे जल के प्रॉन (झींगा) तालाब भी आंध्र प्रदेश में विद्यमान हैं।