बैठक में श्री लाल ने एक्सईएन शारदा नहर खंड वीके सिंह को गर्रा नदी के किनारों को बनाने, राष्ट्रीय जल प्रबंध योजना के एक्सईएन जेएन शर्मा को लोदीपुर माइनर ही जल्द से जल्द सफाई कराने के निर्देश दिए।
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संबंधित राज्य सरकारें जल संसाधनों के विकास और प्रबंध के लिए कई कदम उठा रही हैं जिनमें जलाशयों का निर्माण, जल निकायों का पुनरोध्दार, वर्षा जल संचय, मानवीय प्रयासों से भूजल की भरपाई और जल प्रबंध के बेहतर तौर तरीके अपनाना शामिल है।
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समिति मानती है कि नहर के नेटवर्क निर्माण का काम और आगे न किया जाए और यहां तक कि मौजूदा नेटवर्क से भी सिंचाई की अनुमति तब तक न दी जाए जब तक कि जल प्रबंध के अलावा लाभ-क्षेत्र के विभिन्न पर्यावरणीय मानदण्डों का पालन साथ-साथ न पाए।
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प्रशिक्षण में खादी ग्रामोद्योग धमतरी के प्रबंधक एसएन ठाकुर, जल प्रबंध संभाग रूद्री के सहायक अभियंता आरके सिंघई, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग धमतरी के कार्यपालन अभियंता जेएल ध्रुव, लोक निर्माण विभाग कुरूद के अनुविभागीय अधिकारी टीएल ठाकुर तथा जल संसाधन संभाग धमतरी के सहायक अभियंता जी सलीम अनुपस्थित थे।
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मगर दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि आजादी के 63 साल बाद भी एक तरफ हर साल बाढ़ आती है और एक तरफ अकाल के कारण लोग मर रहे है, इन सब के पीछे एक बड़ा कारण यही है कि उचित जल प्रबंध नीति हम अभी तक विकसित नहीं कर पाये है।
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भारत सरकार त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी), कमान क्षेत्र विकास तथा जल प्रबंध (सीएडीडब्ल्यूएम) कार्यक्रम, कृषि से सीधे जुड़े जल निकायों की मरम्मत, पुनरोध्दार तथा पुनर्बहाली के लिए राष्ट्रीय परियोजना आदि जैसी स्कीमों तथा कार्यक्रमों के जरिए राज्य सरकारों को केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करा रही है।
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वर्षा के मौसम में जलवृष्टि से जल की काफी मात्रा प्राप्य होने के बाद भी, देश के कई भागों में जल की कमी होने से कृषि कार्य बहुत कठिन हो जाता है, हालांकि इसका मुख्य कारण मानसूनी वर्षा की अनियमितता और असमानता भी है, जिसकी वजह से और बाढ़ों से बचाव करके कृषि कार्य को उचित रूप में संपन्न करने के लिए वांछित जल प्रबंध की नितांत आवश्यकता बनी रहती है।
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जिला पेयजल एवं स्वच्छता समिति के सचिव एवं जिला विकास अधिकारी डा 0 एके बाजपेयी ने जानकारी देते हुए बताया कि पुनर्गठित जिला पेयजल एवं स्वच्छता मिशन में सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य, जिला पंचायत निर्माण, स्वास्थ्य-कल्याण, जल प्रबंध समितियों के अध्यक्ष, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, सीएमओ, डपीआरओ, डीपीओ, जिला विद्यालय निरीक्षक, समाज कल्याण अधिकारी, जल निगम व लघु सिंचाई विभाग के अधिशासी अधियंतागण सहित सूचना अधिकारी एवं कृषि अधिकारी सदस्यों से बैठक में समय से प्रतिभाग करने की अपील की है।
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किसान भाई, आलू की पैदावार के लिए पर्याप्त और नियमित जल प्रबंध की जरूरत होती है | जल में घुले लवण की अधिकता आलू की खेती के लिए ठीक नहीं होती | पहली सिंचाई ठीक बीज बोने के बाद करनी चाहिए और यदि मिट्टी सूखी हो तो जल की अधिक जरूरत होती है | दूसरी सिंचाई १०-१५ दिन बाद पौधे निकलने पर करनी चाहिए इसके बाद ६-१० दिनों के अन्तराल पर मिट्टी के प्रकार और जल की आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें | कंद बनने के बाद जल की आवश्यकता कम हो जाती है |