सर्वज्ञ होने के बोझ से दबी अफसरशाही को नापने के लिए जरूरी है कि कलेक्टर की भूमिका पर कतर-ब्यौंत हो. जवाबदेह प्रशासन बनाने की मुहिम पता नहीं किस गर्त में है लेकिन अफसरशाही वह घुन है जो लगातार देश को खोखला कर रहा है.
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घाटे नफे का विचार किए बिना आज भी पत्रकारिता की जा सकती है और हो भी रही है लेकिन इनकी संचारात्मक क्षमता, सामाजिक प्रभाव और पहुँच और जवाबदेह प्रशासन के निर्माण, परिवर्तन में इनकी भूमिका क्या और कैसी होगी इसे सहज ही जाना जा सकता है.
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गहलोत ने पूर्व मुख्यमंत्री को चुनौती दी कि यदि हिम्मत है तो प्रमाण सहित तथ्यों के साथ स्वयं आरोप लगाएं तथा बताएंं कि हमने किस कम्पनी को क्या और कब फेवर किया और कैसे फेवर कियाक् गहलोत ने कहा कि मैं फिर दोहराना चाहूंगा कि मेरी सरकार संवेदनशील, पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रशासन देने का पूरा प्रयास करेगी।