उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने अब तक अपना घर नहीं छोड़ा है उन्हें जितना जल्दी संभव हो सके सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचना चाहिए क्योंकि जब तक कोसी तटबंध टूटने के बाद उत्पन्न हुई नदी की नई धारा को मोड़कर उसकी मुख्यधारा में पहुंचा नहीं दिया जाता तबतक बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों का अपने घरों में रहना सुरक्षित नहीं है।
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अस्पताल को जितना जल्दी संभव हो, सूचित कर दिया जाना चाहिये ताकि रोगी के अस्पताल पहुँचते पहले ही उसके उपचार की तैयारी शुरू हो जाये और “ द्वार से दवा की अवधि ” या Door to Drug Time तथा “ द्वार से हवा की अवधि ” या Door to Balloon Time (रोगी के अस्पताल पहुँचने से एन्जियोप्लास्टी करने के बीच की अवधि) कम से कम रहे।
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आदरणीय जागरण जंक्शन संपादक मंडल, मैंने श्री वासुदेव त्रिपाठी और परम आदरणीय निशा जी मित्तल के विचार इस मंच पर देखे! मैं उनकी बात से सहमत हूँ और उनके विचारों और उनके अनुरोध का समर्थन करता हूँ! वास्तव में निशा जी मित्तल ने बात उठाई है वो न केवल गौर करने लायक है वरन उस पर जितना जल्दी संभव हो, अमल भी किया जाना चाहिए! आशा है आप हम ब्लोगर्स के विचारों को वरीयता देंगे! धन्यवाद