प्रारंभिक सात वर्षों तक शैलप्रिया प्रतिमान प्रेस के संचालन में मेहनत के साथ जुटी रहीं-प्रूफ रीडिंग, कंपोजिंग, नंबरिंग, जिल्दसाजी से लेकर प्रबंधन और संचालन के काम में जब जहां जरूरत पड़ी उसे भिड़कर पूरा किया।
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परिरक्षण एकक के ६, २२५ शीटों का टिशू कागज और ६३३ का शिफान से प्रतिसंस्कारकिया, १२६ शीटों का हाथ से पटलीकरण किया १७, ७३४ शीटों में रक्षक-शीट लगायी, २, २१८ फ़ाइलों की सिलाई की और १५२ जिल्दों, पुस्तकों, मानचित्रों तथा रजिस्टरोंकी जिल्दसाजी की.
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परिरक्षण एकक के ६, २२५ शीटों का टिशू कागज और ६३३ का शिफान से प्रतिसंस्कारकिया, १२६ शीटों का हाथ से पटलीकरण किया १७, ७३४ शीटों में रक्षक-शीट लगायी, २, २१८ फ़ाइलों की सिलाई की और १५२ जिल्दों, पुस्तकों, मानचित्रों तथा रजिस्टरोंकी जिल्दसाजी की.
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वइसे हमरे गुरु जी, के पी सक्सेना जी, कहते थे कि ज्यामिति पढने से अच्छा, त जिल्दसाजी का काम है, हर कोण पर कटते या काटते रहने से, एक जगह जिल्द के साथ जुड़े रहना भला है...
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और तीसरा खंबा पर कोलकाता में अंग्रेजी बस्ती: भारत में विधि का इतिहास-20 …बता रयेले हैं वकील साहब…और अजित वडनेरकरजी शब्दों का सफर पर जल्लाद, जल्दबाजी और जिल्दसाजी के बारे मे बता रयेले हैं…और राजकुमार ग्वालानी राजतन्त्र पर बोल रयेले हैं कि तेरे बिना अब जिया जाता नही..
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परिरक्षण शाखा ने टिशू कागज से २, १५३ शीटों का प्रतिसंस्कार किया; २, ०११ शीटोंका पटलीकरण किया, १२, ६१३ शीटों में रक्षक शीट लगायी, १९० बण्डलों तथा ३३७फ़ाइलों का धूमन किया, १, ५९३ खण्डों, २८१ पुस्तिकाओं और १८ फाइलों की सिलाई की, ८९ जिल्दों और ३६५ पुस्तिकाओं की जिल्दसाजी की.
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परिरक्षण शाखा ने टिशू कागज से २, १५३ शीटों का प्रतिसंस्कार किया; २, ०११ शीटोंका पटलीकरण किया, १२, ६१३ शीटों में रक्षक शीट लगायी, १९० बण्डलों तथा ३३७फ़ाइलों का धूमन किया, १, ५९३ खण्डों, २८१ पुस्तिकाओं और १८ फाइलों की सिलाई की, ८९ जिल्दों और ३६५ पुस्तिकाओं की जिल्दसाजी की.
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सवाल यह है कि मेरे पास क्यों नहीं हैं दो फेल्ट हैट? आपका क्या कहना है उस्ताद? क्या मैं काहिल हूँ? नहीं! दिन में बारह घंटे जिल्दसाजी करना, अपने पैरों पर खड़े-खड़े तबतक जबतक मैं लुढक के गिर न जाऊं, मेहनत का काम है ….
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नयी छपी हुई किताबों की गंध, जो पता नहीं, नये कागज की होती थी या उस पर की गयी छपाई में इस्तेमाल हुई सियाही की, या जिल्दसाजी में लगी चीजों की, या बरसात के मौसम में कागज में आयी हल्की-सी सीलन की, मुझे बहुत अच्छी लगती थी।
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सीखने के विषय हैं-इतिहास, भूगोल, गणित, प्राथमिक प्रकृति विज्ञान, प्राथमिक रसायन विज्ञान, प्राथमिक जीव विज्ञान, यंत्र विज्ञान, राष्ट्र विज्ञान, समाज विज्ञान, साहित्य, हाथ की कारीगरी, बढ़ई का काम, जिल्दसाजी का काम, नए ढंग की खेती की मशीन आदि का व्यवहार इत्यादि।