अपने जीवन-वृत्ति के दौरान, अपने काम के प्रभाव के रूप में जेनेट जैक्सन और मैडोना का उद्धरण देते हुए, कंठस्वर, कोरियोग्राफी और रंगमंच की उपस्थिति के क्षेत्र में, स्पीयर्स ने उनके साथ प्रायः रहरह कर तुलना क़ी है.
32.
ब्रिटनी का अपने प्रबंधन के द्वारा निर्दयतापूर्वक फूहड़ दुराचारिणी के रूप में दिखाए जाने के बजाय वह खुद अपने जीवन-वृत्ति की दिशा की प्रभारी बनी होती तो वह संगीत की दूरदर्शिता से कुछ विशेष झलक उत्पन्न करने में सक्षम हुई होती. ”
33.
ब्रिटनी का अपने प्रबंधन के द्वारा निर्दयतापूर्वक फूहड़ दुराचारिणी के रूप में दिखाए जाने के बजाय वह खुद अपने जीवन-वृत्ति की दिशा की प्रभारी बनी होती तो वह संगीत की दूरदर्शिता से कुछ विशेष झलक उत्पन्न करने में सक्षम हुई होती. ”
34.
दिया और यह कहते हुए स्पीयर्स के जीवन-वृत्ति के विकल्पों को दोषी ठहराते हुए यह कहा कि “अंत में, तीखी किशोरी से प्रबल यौन पिपासिनी नारी के रूप में ब्रिटनी के असहज परिवर्तन के कारण इन द ज़ोन का बहुत बुरा हाल हुआ है.
35.
सामान्य जन की चित्त-वृत्ति] जीवन-वृत्ति और समकालीन शासन-व्यवस्था के दस्तावेज के रूप में साहित्य] समाज विज्ञान] अथवा इतिहास के पृष्ठों में आज तक जो कुछ भी दर्ज हुआ है] और होता चला जा रहा है उन सबका सीधा सम्बन्ध समाज और संस्कृति से है।
36.
इसके अलावा, औरंगजेब ने लगभग अपने पूरे जीवन-वृत्ति में डेक्कन और दक्षिण भारत में अपने दायरे का विस्तार करने की कोशिश करी ; इस उद्यम ने साम्राज्य के संसाधनों को बहा दिया जिससे मराठा, पंजाब के सिखों और हिन्दू राजपूतों के अंदर मजबूत प्रतिरोध उत्तेजित हु आ.
37.
स्टाइलस मैगज़ीन ने ऐल्बम को D दिया और यह कहते हुए स्पीयर्स के जीवन-वृत्ति के विकल्पों को दोषी ठहराते हुए यह कहा कि “अंत में, तीखी किशोरी से प्रबल यौन पिपासिनी नारी के रूप में ब्रिटनी के असहज परिवर्तन के कारण इन द ज़ोन का बहुत बुरा हाल हुआ है.
38.
सतीष धावन के प्रेमपात्र शिष्य थे) अपनी जीवन-वृत्ति एनएएल से शुरू की (1962-1970) और जब डॉ एस आर वल्लूरी ने अपनी प्रयोगशाला को वायुयान परियोजनाओं में मदद केलिए आमंत्रत किया तो वे एनएएल आ गए (1970-2001)1 बीच में कुद अंतराल था जब वे विदेश गए खासतौर पर यूएसए के लॉकहुड1 अधिक...
39.
मि. जॉन सेवक बोले-इस देश के सिर से यह बला न-जाने कब टलेगी? जिस देश में भीख माँगना लज्जा की बात न हो, यहाँ तक कि सर्वश्रेष्ठ जातियाँ भी जिसे अपनी जीवन-वृत्ति बना लें, जहाँ महात्माओं का एकमात्र यही आधार हो, उसके उध्दार में अभी शताब्दियों की देर है।
40.
मि. जॉन सेवक बोले इस देश के सिर से यह बला न जाने कब टलेगी? जिस देश में भीख मांगना लज्जा की बात न हो, यहां तक कि सर्वश्रेष्ठ जातियां भी जिसे अपनी जीवन-वृत्ति बना लें, जहाँ महत्माओं का एकमात्र यही आधार हो, उसके उद्धार में अभी शताब्दियों की देर है।