विज्ञानियों के अनुसार ' सुपर-नोवा ' विस्फोट तो एक छोटी सी आसमानी आग है, हाई-पर-नोवा का सोचियेगा? पृथ्वी से १, ००० प्रकाश वर्ष दूर ऐसा विस्फोट होने पर एक आलमी आग (ग्लोबल कन्फ्लेग्रेसन) की चपेट में tamaam कायनात (पृथ्वी जैव मंडल के साथ) आ जायेगी.
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मरता क्या ना करता. अक्लमंदी तो इसमे है, पृथ्वी पर होमोसेपियन (मानव मात्र एवं जैव मंडल के सभी प्राणी रूपों की सलामती के लिए पर्यावरण, हमारे हवा, पानी, आकाश औ अग्नि को, इस धरती को अपने ही पंचभूत स्वरूप की अनुकृति समझ अपनी ऊर्जा खपत, कार्बन बजट, कार्बन फुट प्रिंट को मिलजुल कर कम किया जाए ।
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वायु मंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का बाहुल्य है, मुख्य गेसों ओक्सिजन नाइट्रोजन के अलावा, इतर गेसें अल्पांश में है, ओजोने का एक कवच है, ओजोने मंडल में, ३ ०-४ ० किलोमीटर ऊपर, अलबत्ता समुन्दर के निकट की हवा में सुबह की ठंडक और ताजगी इसी गैस की वजह से है, जो अपने मूल स्वभाव में भले ही जहरीली सही, लेकिन सौर विकिरण के जैव मंडल को क्षति पहचाने वाले परा-बेगनी अंश को रोक कर तमाम वन्य जीवों को एक सुरक्षा कवच मुहैया कराता है.