| 31. | -बृहत् हिंदी कोष, संपादक लिका प्रसाद, राजवल्लभ सहाय, मुकुन्दी लाला श्रीवास्तव, प्रकाशक ज्ञानमंडल वाराणसी, पृष्ठ 63.
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| 32. | फिर संवत् 2010 में बहती गंगा के रचनाकार रुद्र काशिकेय ने ज्ञानमंडल से बदमाश दर्पण को प्रकाशित कराया जो सालों से अनुपलब्ध है।
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| 33. | अभिगमन तिथि: 2008. ↑ बाहरी, डा0 हरदेव (१९८६). साहित्य कोश, भाग-2,. वाराणसी: ज्ञानमंडल लिमिटेड. प॰ ३५७. ↑ “प्रेमचंद संचयन” (पीएचपी). भारतीय साहित्य संग्रह.
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| 34. | इसके अलावा वाराणसी के ज्ञानमंडल प्रकाशन संस्था में भी काम करते रहे और हिन्दी उर्दू के कई शब्दकोषों की योजना से भी जुड़े रहे.
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| 35. | मज़े की बात यह कि उर्दू ही नही ज्ञानमंडल जैसे प्रतिष्ठित हिन्दी के शब्दकोश में भी यह इन्हीं भाषाओं के नाम पर दर्ज है।
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| 36. | मज़े की बात यह कि उर्दू ही नही ज्ञानमंडल जैसे प्रतिष्ठित हिन्दी के शब्दकोश में भी यह इन्हीं भाषाओं के नाम पर दर्ज है।
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| 37. | जबकि ज्ञानमंडल हिन्दी शब्दकोश में इसका अर्थ बताया गया है-गद्देदार पुश्त और बिस्तरे वाला आसन जिस पर बैठा या लेटा जा सके ।
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| 38. | इसके अलावा वाराणसी के ज्ञानमंडल प्रकाशन संस्था में भी काम करते रहे और हिन्दी उर्दू के कई शब्दकोषों की योजना से भी जुड़े रहे ।
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| 39. | इसके अलावा वाराणसी के ज्ञानमंडल प्रकाशन संस्था में भी काम करते रहे और हिंदी व उर्दू के कई शब्दकोषों की योजना से भी जुडे़ रहे।
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| 40. | इसके अलावा वाराणसी के ज्ञानमंडल प्रकाशन संस्था में भी काम करते रहे और हिंदी व उर्दू के कई शब्दकोषों की योजना से भी जुडे़ रहे।
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