=============================== बेशक, ज़ोश और ज़श्न की उम्र में सापेक्ष सोच और सरोकारों के जीवन की बस्ती तलाशते रहे आप! =============================== मुझे लगता है आशा पर आस्था अभाव के दुख के तटस्थ वहन.....! किसी कमतर स्थिति की टीस से बेख़बर रहने के साहस.......! आसपास के बचपन के प्रति प्रौढ़ दृष्टिकोण के साथ मासूमों की ज्ञान-पिपासा को मिली स्वाति की सौगा त.....! बड़प्पन को जीने के ज़ज़्बे....