| 31. | मेरे मन मन्दिर मैं साई, तुमने ज्योत जगाई
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| 32. | ये ज्योत लीन हो गयी कहाँ अनंत है.
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| 33. | ऋतु पुष्पों से श्रृंगार कर ज्योत ली गई।
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| 34. | सांची ज्योत जगे हृदय में सोहम नाद जगाओ
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| 35. | माता की ज्योत, भजन-गायन के कार्यक्रम हुए।
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| 36. | प्यारी हमारी गुरू पादुका ज्योत जगाने वाली है,
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| 37. | ये ज्योत सदा ही जलती रहेगी यहा..
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| 38. | दियो में ही नही, दिल में भी ज्योत जलाना
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| 39. | जहां अखंड ज्योत में विराजित हैं बजरंगबलि।
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| 40. | आंतर ज्योत पुस्तक से-Aantar Jyot pustak se
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