अब ये दसेक लाख डॉलर्स का आखिर मैं करूंगा क् या? ठीक है, बेजी-टेजी या किसी भी केजी में पढ़नेवाले को नहीं दूंगा वह बात समझ में आती है, फिर भी? हालांकि ये सोचकर अच् छा लग रहा है कि फ़ोन और बिजली-टिजली के बिल भरने के लिए इस और उस मेहमान के घर कोई कीमती सामान उड़ाकर झट से झोले में डाल लेने के झंझटी दिनों का अंतत:
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अंग्रेजी सबटाइटिल से याद आया, पुराने समय मे टीवी पर रविवार को दिन मे क्षेत्रीय भाषा मे फिल्मे आया करती थी, अक्सर उड़िया, तमिल और मलयालम मे (शायद यंही सबसे ज्यादा बनती थी, या दूरदर्शन के पास स्टाक ज्यादा था), हमारी माताजी को एक उड़िया फिल्म भा गयी, फिर क्या था, हर रविवार को बाकायदा हमारी ड्यूटी लगती थी, फिल्म देखते देखते, सबटाइटिल पढते पढते पढते, हमे माताजी को डायलाग समझाने पड़ते थे, मतलब थ्री इन वन, ये काम हमे बहुत झंझटी लगता था।