|दिमाग में अजीब-अजीब से विचार आ रहे थे एक क्षण में ही सारी बुरी घटनाए जो अब तक घटी थी, एक-एक कर याद आ गई थी, आंसू निकल पड़े थे मेरे............................बहुत समय लगा था इससे उबरने में...................जब इन्दोर वापस आए तो एक दिन स्कूल जाते समय बस की खिड़की से बाहर देख रही थी............रास्ता तो वही रोज का रहता था,..............पर एक आदत-सी पड़ चुकी थी कि-जहां-जहां मंदिर,मस्जिद, गिरजाघर पड़ते है वहाँ सर झुका देना..................जो परिचित दिखाई पड़ जाए तो मुसकराकर नमस्ते करना...............