एक विशेष तकनीक थी जल मार्ग जो अब शत-अल-अरब के नाम से जानी जाती है, यह फारस की खाड़ी के डेल्टा से टाइग्रिस और युफ्रेट्स के समागम तक अपनायी गयी।
32.
एक विशेष तकनीक थी जल मार्ग जो अब शत-अल-अरब के नाम से जानी जाती है, यह फारस की खाड़ी के डेल्टा से टाइग्रिस और युफ्रेट्स के समागम तक अपनायी गयी।
33.
मनुष्य के अनुसार विश्व में सबसे बड़े विडाल वंशी, बाघ (पेंथेरा टाइग्रिस) से अधिक हिंसक कोई जानवर नहीं है और कोई भी इससे ज़्यादा डर पैदा नहीं करता।
34.
एक विशेष तकनीक थी जल मार्ग जो अब शत-अल-अरब के नाम से जानी जाती है, यह फारस की खाड़ी के डेल्टा से टाइग्रिस और युफ्रेट्स के समागम तक अपनायी गयी।
35.
बंगाल टाइगर (पी. टाइग्रिस) और दक्षिण-पूर्वी एशिया के द्वीपों के बाघ, उदाहरण के तौर पर, कुछ-कुछ लाल और भूरे रंग के, लगभग गहरी काली सुंदर अनुप्रस्थ धारियों वाले होते हैं।
36.
बंगाल टाइगर (पी. टाइग्रिस) और दक्षिण-पूर्वी एशिया के द्वीपों के बाघ, उदाहरण के तौर पर, कुछ-कुछ लाल और भूरे रंग के, लगभग गहरी काली सुंदर अनुप्रस्थ धारियों वाले होते हैं।
37.
मानद सम्पादक विश्व मोहन तिवारी जी ने इस समाचार [युरोपीय पुरूष पूर्व से आये किसानो के वंशज हैं] पर यह वाद [यूरोपीय पुरुष टाइग्रिस-यूफ़्रैटीज़ (लगभग परि-इराकी) क्षेत्र से आए] प्रस्तुत किया था।
38.
दजला नदी, जिसे टाइग्रिस नदी भी कहते हैं, तुर्की के तोरोस पर्वतों के दक्षिणपूर्वी भाग से निकलकर तुर्की तथा इराक़ में दक्षिण दक्षिण-पूर्व की ओर १,८४० किमी तक बहने के पश्चात् फ़ुरात नदी में कुराना नामक स्थान पर मिलती है।
39.
गहरे रंग की धारियों वाले सफ़ेद बाघों को बंगाल टाइगर की उप-प्रजाति में बखूबी शामिल कर लिया गया है जो रॉयल बंगाल या इंडियन टाइगर (पैन्थेरा टाइग्रिस टाइग्रिस या पी. टी. बेंगालेंसिस) के नाम से मशहूर है, ये गहरे रंग की धारियां कैद साइबेरियन टाइगर (पैन्थेरा टाइग्रिस अल्टैका) में भी देखने को मिल सकती हैं, और हो सकता है इतिहास बन चुकी कई अन्य उपप्रजातियों में भी इनके पाए जाने की खबर हो.
40.
गहरे रंग की धारियों वाले सफ़ेद बाघों को बंगाल टाइगर की उप-प्रजाति में बखूबी शामिल कर लिया गया है जो रॉयल बंगाल या इंडियन टाइगर (पैन्थेरा टाइग्रिस टाइग्रिस या पी. टी. बेंगालेंसिस) के नाम से मशहूर है, ये गहरे रंग की धारियां कैद साइबेरियन टाइगर (पैन्थेरा टाइग्रिस अल्टैका) में भी देखने को मिल सकती हैं, और हो सकता है इतिहास बन चुकी कई अन्य उपप्रजातियों में भी इनके पाए जाने की खबर हो.