देखो यार खेतों में उस सिस्टम से पानी देना भी एक टेकनिक है उसे जुगाड कहना गलत है वो जिस किसी ने भी बनाया है बड़ी मेहनत से बनाया होगा अपनी जरूरतों के लिए. उसे
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मुस्लमान इसी इबादत में रह गए मस्जिदों के घेरे में, ईसाई, यहूदी भी इन्ही बंधनों में थे कि बंधन तोड़ कर खलाओं में तैर रहे हैं, मुसलमान उनकी टेकनिक के मोहताज बन कर रह गए हैं।
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एक फ़्रान्सी जरीदे ने फ़ाश किया है के कोई भी इत्तेहादी यूरोपी मुल्क मिंजुम्ला फ़्रान्स इस तरह के जदीद और तरक़्क़ी याफ़ता टेकनालोजी का तय्यारा तो दूर इस से बहुत ही नीची टेकनिक का तय्यारा रखने से महरूम हैं।
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हेल्लओ मे प्रवीण सोलकी मदुरै से सबको मे नमस्कार इतनी टेकनिक होने पर तीसरा उंपीरे ग़लत निर्णय देता है जिस तरह टेनिस मे गेाद सीमा रेखा की बाहर जाने पर आवाज़ आती है उसी तरह क्रिक्केट मे नो बाल होने पर भी आवाज़ आनी चाहिए
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सब से पहले श्रीमती सुब्रमनियन स्वस्थ के लिये शुभकामनाये, आप का लेख पढा ओर सभी चित्रो को देखा… ओर देखता रह गया, हजारो साल पहले भी तो कोई ऎसी टेकनिक होगी जिस से एक पहाड कए अंदर ही यह सब बनाया गया, ओर अति सुंदर सिस्टम बनाया गया.
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यहाँ पर आर पी आई के लीडर मिस्टर रामदास आठवले को धन्यवाद देना होगा कि उन्होंने चाहे जो टेकनिक अपनाई हो, मगर शिव सेना के गठजोड़ की मांग कि इंदु मिल की पडत जमीन चैत्य-भूमि को दे दी जाए, ने एक इनिसिएटिव प्रेसर का काम किया है।
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कुछ दिनो से नये ब्लाग मै शामिल नही कर पा रहा था, कोई टेकनिक कमी के कारण, आज से दोवारा आप लोगो के ब्लाग शामिल कर रहा हुं, अब सब ठीक हो गया हे आप अब अपने नये ब्लाग, ओर नये साथी भी अपना अपना ब्लाग इस परिवार मे शामिल करवा सकते हे,
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जिनका शर्तिया निपटारा डी एन ऐ फिंगर प्रिंटिंग टेकनिक की मानो बाट जोह रहा था. पिछले शताब्दी के आख़िरी दशक में यह तकनीक लोकप्रिय होनी शुरू हुई और अब तो पूरी दुनिया में पितृत्व /मातृत्व के निपटारे के लिए यही सबसे विश्वसनीय तकनीक है जिसे ज्यादातर देशों में कानूनी मान्यता भी प्राप्त है.
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सब से पहले श्रीमती सुब्रमनियन स्वस्थ के लिये शुभकामनाये, आप का लेख पढा ओर सभी चित्रो को देखा … ओर देखता रह गया, हजारो साल पहले भी तो कोई ऎसी टेकनिक होगी जिस से एक पहाड कए अंदर ही यह सब बनाया गया, ओर अति सुंदर सिस्टम बनाया गया. धन्यवाद
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हिन्दी ब्लोगिंग को जन जन तक पंहुचाने के लिये आवश्यक है कि इससे संबन्धित जो भी “ टूल और टेकनिक ” उपलब्ध हैं सार्वजनिक माध्यमों से उनका प्रचार और प्रसार किया जाये ताकि ब्लोगिंग किसी के लिये भी अनबुझ पहेली या अनजाना विषय न रहे जैसा कि मेरे लिये व्यक्तिगत रूप से २ ०० ६ तक था.