शिफेलोपोडा प्रजाति के जीव तो यहां यह भी बताते हैं कि १ ३ करोड़ वर्ष पूर्व टेथिस सागर की गहराई १ ००० मीटर रही होगी।
32.
मरूस्थल व भारत का महान मैदान टर्षरी (तृतीय) काल में टेथिस सागर का हिस्सा था, जो पर्यावरण, जलवायु में परिवर्तन के परिणामस्वरूप मरूस्थल मे बदल गया।
33.
यह समुद्री खाई (ट्रेंच) संभवतः टेथियन मिड-ओशन रिज के रूप में उपशाखित (सबडक्ट) हो गया था, यह रिज टेथिस महासागर के विस्तार के लिए जिम्मेदार था.
34.
टेथिस से हिमालय बनने की प्रक्रिया में तब प्रागैतिहासिक काल की नदियों द्वारा तात्कालिक महाद्वीपों से लाई गई मिट्टी की तहों में समुद्री जीव दब गए।
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यह समुद्री खाई (ट्रेंच) संभवतः टेथियन मिड-ओशन रिज के रूप में उपशाखित (सबडक्ट) हो गया था, यह रिज टेथिस महासागर के विस्तार के लिए जिम्मेदार था.
36.
करीब 50 मिलियन वर्ष पहले इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट और यूरोशियन प्लेट में टक्कर के कारण टेथिस सागर की तलहट्टी में भू-गर्भीय हलचल हुई और हिमालय का उत्थान संभव हो सका।
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भूविज्ञानियों का मानना है कि भारत के उत्तरी प्रदेश से लेकर उत्तरी बर्मा, हिन्दचीन अवं फिलीपीन से होता हुआ टेथिस सागर का ही एक भाग दक्षिणी सागर बनाता था।
38.
5 से 30 डिग्री अक्षांश पर स्थित टेथिस के मैदान में उत्तर-पूर्वी व्यापारिक हवाएं, सामान्य ग्रहीय पवन बिना किसी बाधा के सालों भर प्रशांत महासागर की ओर से चला करता था।
39.
लगभग 50 करोड़ वर्ष पहले विशाल टेथिस भूसन्नति दलदली मैदान था, जिसका पूर्व से पश्चिम में लंबा फैलाव था, जो ऐशया भू-भाग के दो विशालपुराने खंड, डेकन और साइबेरियन के बीच था।
40.
अगले तीन करोड़ वर्षों में टेथिस सागर में भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट के डूबने के कारण इसका समुद्र तल ऊपर की ओर उठ गया तथा इसके कम गहरे हिस्से पानी से ऊपर निकल आए।