| 31. | टेर रहा है प्रीतिकातरा मुरली तेरा मुरलीधर।।167।।
|
| 32. | आपुन टेर लेत ताही सुर हरसत पुनि पुनि भासत॥
|
| 33. | टेर रहा है प्रेमतरंगा मुरली तेरा मुरलीधर।।164।।
|
| 34. | टेर रहा है सहजस्पन्दिनी मुरली तेरा मुरलीधर।२३२।
|
| 35. | सांस की बांसुरी ने पुन: टेर दीं
|
| 36. | आपुन टेर लेत ताही सुर हरषत पुनि पुनि भाषत॥
|
| 37. | पर्वत पर्वत शिखर शिखर पर टेर रहा सस्वर निर्झर
|
| 38. | टेर रहा है प्रीतिपंखिनी मुरली तेरा मुरलीधर।।192।।
|
| 39. | टेर रहा है विभवभूषणा मुरली तेरा मुरलीधर।।
|
| 40. | वो है आने लगा टेर सुन ” ओ पिया:
|