' सुनो आज मौसम बहुत हसीं है फिफ्टी फिफ्टी के अनुपात में सूरज और बादल टहल रहे हैं चलो ना, हम भी टहल आयें जेकेट-नहीं होगी उसकी ज़रूरत हाँ ले चलेंगे अपनी वो नीली छतरी जिसपर गिरती हैं जब बारिश की बूँदेंतो रंग आसमानी सा हो जाता है और टप टप की आवाज के साथ लगता है जैसे खुले आकाश के नीचे कर रहा हो कोई टैप डांस एक ही छतरी को दोनों पकड़ते हुए कितना मुश्किल होता है न चलना तुम हमेशा कहते हो बीच रास्ते (...)'