| 31. | लेकिन जो इस ठगनी को ठग ले, वह माया से भी बलवान है।
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| 32. | मैं तो इस ठगनी माया जाल में फंसा हुआ अभी तक छटपटा रहा हूँ.
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| 33. | कबीर ने पाँच सौ वर्ष पूर्व कहा था-“ माया तू बड़ी ठगनी ” ।
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| 34. | माया ठगनी जो जो रूप देखाती है हम उसके चाल में आ ही जाते हैं.
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| 35. | मिल जाए तो मुंह नोच लूँ... बाबा हंसते रहते... माया ठगनी हम जानी....
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| 36. | “ तेरी ठोड़ी के उपर लगे तिल से ” एक ठगनी ने एकदम उत्तर दिया ।
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| 37. | दार्शनिक अर्थों में कबीरदास ने कई जगह पर माया अर्थात धन-सम्पत्ति-काम को ठगनी की संज्ञा दी है।
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| 38. | दार्शनिक अर्थों में कबीरदास ने कई जगह पर माया अर्थात धन-सम्पत्ति-काम को ठगनी की संज्ञा दी है।
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| 39. | आश्रम पाँच सितारा हो गए और जोगी ब्रह्म को बिसार कर माया महा ठगनी के गुण गाने लगे।
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| 40. | ' भीड़ में से कोई चटखारा ले कर बोला, ' अरे ठगनी नार का क् या भरोसा।
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