जाने क्या थे कहां थे मगर समझते थे खुद को जनता का आदमी ठेपी सज्जन, सो वही ऊंचा खटराग चिल्लाये, दिल में छेद हो जाये का छेदकराग साधे फैलाये, ‘ओ लिखवैये, अबे क्यों? सतरह से होते सत्तर सात सौ पन्ने रंगोगे मगर फिर उसके बाद हज़ार, सात हज़ार क्या,
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बाबा ने जब यह सब देखा तो उन्होंने लिखा-‘‘ पूर्ण हुए तो सभी मनोरथ बोलो जेपी, बोलो जेपी सघे हुए चौकस कानों में आज ढूंसली कैसे ठेपी जोर जुल्म की मारी जनता सुन लो कैसी चीख रही है तुमको क्या अब सारी दुनिया ठीक-ठाक ही दीख रही है।
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पापा का मर्डर चाचा लापता ड्राइंग बेरंग निकर बड़ी नंबर कम डांट ज्यादा पेंसिल छोटी अंगूठा बड़ा-इससे पहले कि ग्रेनाइट चुभ जाए गोलू ने लगाई रेनॉल्ड्स की ठेपी पेंसिल के पीछे सो पेंसिल भी गिरी कहीं बैग के छेद से अब जो जोर-जोर से रो रहा है गोलुआ इसको अपना पेंसिल दे दें?
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एस्नो पौडर लगयला के बाद, हाफ़ फईसन देखा अईसन देखा वईसन देखाजगह जगह पर फईसन देखाकईसन देखा कईसन देखाजगह जगह पर फईसन देखाअईसन देखा अईसन देखाअन्तर मन्तर जन्तर देखापाउडर लगाए बन्दर देखादेसि मुर्गी विलायती बोलचउक चउक जोगिन्दर देखाअईसन देखा अईसन देखाछोट कपड में लईकीसननील गगन में उडत जायेकान में ठेपी मुंह से धुआंऊल्टा सबकुछ गडबड देखाअईसन देखा अईसन
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कई लोग और बच्चे जमा होकर हँसते हुए उसे देख रहे हैं! बन्दर को बोतल की कैप (ठेपी) खोलना नहीं सिखाया गया ; अतः अमेरिका के मुख्य न्यायाधीश को इसका संज्ञान लेना चाहिए, और कोकाकोला के निर्माताओं को निर्देश देना चाहिए कि वे बोतल पर बंदरों के लिए बोतल की ठेपी खोलने की विधि-वानरी भाषा-में, जिसका उन्हें अच्छा ज्ञान है, छापें!!
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कई लोग और बच्चे जमा होकर हँसते हुए उसे देख रहे हैं! बन्दर को बोतल की कैप (ठेपी) खोलना नहीं सिखाया गया ; अतः अमेरिका के मुख्य न्यायाधीश को इसका संज्ञान लेना चाहिए, और कोकाकोला के निर्माताओं को निर्देश देना चाहिए कि वे बोतल पर बंदरों के लिए बोतल की ठेपी खोलने की विधि-वानरी भाषा-में, जिसका उन्हें अच्छा ज्ञान है, छापें!!
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जाने क्या थे कहां थे मगर समझते थे खुद को जनता का आदमी ठेपी सज्जन, सो वही ऊंचा खटराग चिल्लाये, दिल में छेद हो जाये का छेदकराग साधे फैलाये, ‘ओ लिखवैये, अबे क्यों? सतरह से होते सत्तर सात सौ पन्ने रंगोगे मगर फिर उसके बाद हज़ार, सात हज़ार क्या, बरखुर्दार? हुआं से कहां ओकरे बाद कौन बेड़ा पारोगे, पन्नों के माथे टांकोगे सुनहरी चिड़िया, अपने अनोखे इस जनविमुख ज्ञान को कहां गाड़ोगे? क्या काम आएगी तोहरी यह लिखाई? लाएगी इन छौंड़ों के चेहरे हंसी, मदनमोहन के पालटिक्स में कोई नई अंगड़ाई?