बिराज्मार गांव की 8 साल की दलित बालिका की दरिंदों ने बलात्कार के बाद हत्या की परंतु महीनों कोतवाल ने कोई कार्रवाई तक नहीं की, उल्टे घरवालों को ही डराना-धमकाना और गुमराह करना जारी रहा।
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अधिक सीटें जीतने के बाद भी भाजपा-जद (यू) और 5 निर्दलीय विधायकों के समर्थक अंतिम समय में लोकतंत्र के पहरूओं में किसी सद्बुद्धि के इंतजार में खड़े थे, उन्हें भी “सत्ता” पर बैठने वालों ने डराना-धमकाना शुरू कर दिया।
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इस व्यवस्था में काम करने वालों के मन में यह बात बैठानी होगी कि उनका काम लोगों को डराना-धमकाना नहीं बल्कि इसके खिलाफ आवाज उठाने में सक्षम बनाना है और आम जन को सुरक्षा एक अहसास कराना है।
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चार छ: लोगों के बीच में आपसे कर्ज माँगना, आपके दरवाजे पर खड़े होकर तेंज आवाज में पैसे वसूलने की बात करना, डराना-धमकाना, गाली गलौच करना आदि कुछ उनके तौर तरीकों में शामिल है।
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इन दस्तावेज़ों से पता चलता है कि प्रताड़ना के तरीक़ों में बंदियों को निरवस्त्र करना, उन्हें मानसिक दबाव की स्थिति में रखना, नींद में गड़बड़ी, अलग-अलग रखना, रोशनी से वंचित रखना और कुत्तों से डराना-धमकाना जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं.
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और अगर किसी को भयभीत करना ही हमारी सफलता का परिचायक है, तो इसका तो यही मतलब है, कि हमारे जीवन पर ‘ राक्षसों ' का प्रभाव है. हाँ. किसी को डराना-धमकाना साधारण मनुष्यों का लक्षण कहाँ होता है?
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गाड़ियों पर सवार होकर हुल्लड़बाजी करना, दारू-कंबल, नोट बाँटना, फर्जी वोट डालना-डलवाना, बूथ लूटना, मत पेटियाँ-मशीनें उठाकर भागना, मतदाताओं को डराना-धमकाना, गोली चालन, बमवर्षा, हत्या-अपहरण आदि-आदि विशिष्ट कामों के लिए विशिष्ट उद्यमियों की ज़रूरत होती है।
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इस्तीफे के लिए मीडियाकर्मियों पर बेवजह दबाव बनाना, उन्हें डराना-धमकाना और तुगलकी फरमान जारी करते ही परदेश से आये कलम और कैमरे के सिपाहियों को मिनटों में गेस्ट हाउस से बाहर निकाल सड़क पर फेंक देना, आखिर क्या साबित करता है... यह सब आखिर क्यों...
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गाड़ियों पर सवार होकर हुल्लड़बाजी करना, दारू-कंबल, नोट बाँटना, फर्जी वोट डालना-डलवाना, बूथ लूटना, मत पेटियाँ-मशीनें उठाकर भागना, मतदाताओं को डराना-धमकाना, गोली चालन, बमवर्षा, हत्या-अपहरण आदि-आदि विशिष्ट कामों के लिए विशिष्ट उद्यमियों की ज़रूरत होती है।
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पुलिस प्रमुख अब्दुल जलील ख़लाफ़ ने कहा है कि जो महिलाएँ हिजाब या नक़ाब नहीं पहन रही हैं या फिर श्रंगार करती हैं उन्हें निशाना बनाया जा रहा है और इसके तहत धमकियाँ, डराना-धमकाना और यहाँ तक कि हत्या का भी सहारा लिया जा रहा है.