डिफ्थीरिया रोग हो जाता है तथा इसके साथ ही गले में जलन होती है, जीभ की जड़ में दर्द होता है जिसका असर कान तक होता है।
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यह वैज्ञानिक शोध में साबित हो चुका है कि यह मलेरिया, हैजा, डिफ्थीरिया, टायफॉयड और अन्य रोगों के जीवाणुओं को मारने की क्षमता रखता है।
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१. डिफ्थीरिया-इसके जीवविष की विशेष क्रिया स्थानिक ऊतकों का नाश, हृदय की पेशियों का क्षय नाड़ीमंडल को क्षत करना है, जिससे स्थानिक पक्षाघात तक हो जाता है।
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क्या आप बता सकते हैं क्या होता है जब एक रोग से पीड़ित व्यक्ति इन्फ्लूएंजा, डिफ्थीरिया जैसे, खसरा, कण्ठमाला का रोग, आदि खांसने या जोरसे बोलता या छिकता है?
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बचपन में ही छोटी बहिन की डिफ्थीरिया बीमारी से मृत्यु देखी. माँ का दुःख दिन में देखा और रात के अँधेरे में पापा को दुःख से रोते हुए सुना.
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दो बड़े भाइयों के मध्य-1930 में पैदा हुए थे, एक जन्म के कुछ ही महीनों के अंदर ही मर गए, दूसरा डिफ्थीरिया करने लेनिनग्राद की घेराबंदी के दौरान झुक.
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यह रोग अपने आप हृदय में उत्पन्न नहीं होता बल्कि यह अन्य रोग के द्वारा उत्पन्न होता है जैसे-खसरा, चेचक, न्युमोनिया, डिफ्थीरिया, गल-ग्रन्थि की जलन आदि।
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१. डिफ्थीरिया-इसके जीवविष की विशेष क्रिया स्थानिक ऊतकों का नाश, हृदय की पेशियों का क्षय नाड़ीमंडल को क्षत करना है, जिससे स्थानिक पक्षाघात तक हो जाता है।
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स्वरयन्त्र का डिफ्थीरिया, झिल्ली स्वरयंत्र में बनना और झिल्लियों का ऊपर की ओर फैलना आदि सांस रोगों में ब्रोमम औषधि का प्रयोग करने से सांस के सभी रोग ठीक होते हैं।
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डिफ्थीरिया रोग होने के साथ ही गले की झिल्ली दाईं ओर से बाईं ओर फैलने लगती है, ठण्डे पेय पदार्थो का सेवन करने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।