और डेलीगेसी में सेंटर आॅफ फोटो जर्नलिज्म एंड विजुुअल कम्यूनिकेशन किस अधिकार से चलाया जा रहा है, व डेलीगेसी शुल्क के रूप में प्रतिवर्ष प्रत्येक छात्र से जो दस रूपये लिए जाते हंै वह किस मद में खर्च किये जा रहा हंै।
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कुछ इसी तरह से हम लोगों की 40-50 लोगों की एक जबरदस्त छात्रों की मंडली (इसमें मेरे जैसे इलाहाबाद में अपने घर में रहने वाले और बाहर के जिले, प्रदेश से आकर छात्रावास या डेलीगेसी में रहने वाले छात्र थे।
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1865 तक डेलीगेसी (प्रतिनिधित्व/नुमाइंदगी) का सर्वकालिक होना बंद हो गया और इसकी जगह पांच सर्वकालिक और पांच कनिष्ट पदों का विकास हुआ जिन्हें विश्वविद्यालय की तरफ से होने वाली नियुक्ति के माध्यम से भरा जाता था और इसके साथ ही साथ वाइस चांसलर एक पदेन डेलीगेट होता था:
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1865 तक डेलीगेसी (प्रतिनिधित्व/नुमाइंदगी) का सर्वकालिक होना बंद हो गया और इसकी जगह पांच सर्वकालिक और पांच कनिष्ट पदों का विकास हुआ जिन्हें विश्वविद्यालय की तरफ से होने वाली नियुक्ति के माध्यम से भरा जाता था और इसके साथ ही साथ वाइस चांसलर एक पदेन डेलीगेट होता था:
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1865 तक डेलीगेसी (प्रतिनिधित्व / नुमाइंदगी) का सर्वकालिक होना बंद हो गया और इसकी जगह पांच सर्वकालिक और पांच कनिष्ट पदों का विकास हुआ जिन्हें विश्वविद्यालय की तरफ से होने वाली नियुक्ति के माध्यम से भरा जाता था और इसके साथ ही साथ वाइस चांसलर एक पदेन डेलीगेट होता था: जो गुटबाजी के लिए एक कांचगृह था जिसकी रखवाली और नियंत्रण प्राइस ने बड़ी चतुराई से की.
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“ सवाल पूछते रहो ” अभियान के तहत आज विभाग के छात्र दिलीप केसरवानी ने पूछा है कि पिछले दस सालों में विश्वविद्यालय द्वारा प्रत्येक छात्र से डेलीगेसी शुल्क के रूप में लिए जाने वाले 20 रूपये किस मद में खर्च किये गये हैं, साथ ही उन्होंने यह भी पूछा है कि बिना कार्यकारिणी परिषद से पास हुए वे कौन-कौन से नये कोर्स हैं, जिन्हे कुलपति ने अपने विवेक के आधार पर चलाने की अनुमति दी है।