1 कुरिन्थियों 11 में यह विषय कहा गया कि पुरुष को सिर न ढांकना है और स्त्री को सिर ढांकना है।
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उपर्युक्त बच्चे की उम्र छोटी है और उसकी उपस्थिति में चेहरा ढांकना ज़रूरी नहीं है, अल्लाह सर्वशक्तिमान का कथन है:
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मनुष्य के स्वभाव द्वारा जो परमेश्वर ने दिया, बताता है कि पुरुष को सिर न ढांकना है और स्त्री को सिर ढांकना है।
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मनुष्य के स्वभाव द्वारा जो परमेश्वर ने दिया, बताता है कि पुरुष को सिर न ढांकना है और स्त्री को सिर ढांकना है।
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यह भी एक तथ्य है कि जब मनुष्य ने अपना अंग ढांकना शुरू किया तो पत्तों के बाद ऊनी वस्त्र से ही ढांकना शुरू क्या था।
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यह भी एक तथ्य है कि जब मनुष्य ने अपना अंग ढांकना शुरू किया तो पत्तों के बाद ऊनी वस्त्र से ही ढांकना शुरू क्या था।
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इतने में पौलुस ने उनके गलत विचार को सही करने नाना प्रकार के कारणों को बताते हुए जोर दिया कि अवश्य ही स्त्री को सिर ढांकना है।
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इन से रक्त का बहाव अच्छा होता है किन्तु दूसरी हवाओं के बारे में हकीमों का कहना है कि मनुष्यों को इनसे बचना चाहिए और शरीर को उचित कपड़ों से ढांकना चाहिए।
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कुछ उलेमा का कहना है कि हाथ और चेहरा शरीर का वह अंग है जिनको ढांकना स्त्रियों के लिये अनिवार्य है अर्थात स्त्रियों के हिजाब का हिस्सा है और यही कथन उत्तम है।
40.
कुछ उलेमा का कहना है कि हाथ और चेहरा शरीर का वह अंग है जिनको ढांकना स्त्रियों के लिये अनिवार्य है अर्थात स्त्रियों के हिजाब का हिस्सा है और यही कथन उत्तम है।