कोयला घोटाला हुआ कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के प्रधानमन्त्री की सीधी देख-रेख में, लेकिन चूंकि “ हम कांग्रेस के नहीं, भ्रष्टाचार के विरुद्ध हैं ” का ढोल पीटना जरूरी है, इसलिए नितिन गडकरी के घर का भी घेराव करने का कार्यक्रम बना।
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कान में जहर घोल देती हैं-आकर्षण के लिए इनका इस्तेमाल जायज नहीं-वैसे हमारे नारी समाज को भी इसमें कुछ नकारना चाहिए-वही स्वीकार करें जो उचित हो तब तो हमारा आप का ढोल पीटना किसी को सुनाई भी पड़े धन्यवाद shuklaabhramar 5
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अब देखना यह है कि कैस लागू होने के बाद चैनल प्रमुख और संपादकों की फौज ढोल पीटना बंद करेगा या ढोल की तरह खुद पिटेगा? वातानुकूलित कमरों में बैठे हुए यह सरस्वतीपुत्र किस आधार कह सकते हैं कि आज की जनता जागरुक नहीं है और सच नहीं देखना चाहती।
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दर-असल जब से कुछ सामाजिक-दुश्मनों ने फिल्म बनाकर ‘ मंहगाई डायन खाए जात है ' का ढोल पीटना शुरू कर दिया था, मुझे नए असाइनमेंट और क्लाइंट मिलने कम हो गए थे | अब जबसे माननीय मंत्री जी ने यह कहते हुए हमें अभयदान दे दिया है कि वे हमारे परफोर्मेंस से खुश हैं, सच्ची में, मुझसे पूनम पांडे भी जलने लगी है | “
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सिर्फ सड़क, बिजली और पानी मार्का विकास, जो रमन सिंह, शिवराज सिंह, नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार मॉडल विकास का सूचक बन गया है और जो एक तरह से विश्व बैंक मार्का विकास है, का ढोल पीटना छोड़ भारतीय नीतिकार, मीडिया एवं सिविल सोसाइटी, आदिवासी जनों, स्थानीय समाजों में विकास की सामान्य व्याख्या से निकल स्थानीय आकांक्षाओं पर आधारित विकास एवं जनतंत्र का मॉडल विकसित नहीं करेगी, भारतीय जनतंत्र का यह संकट गहराता जाएगा।
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पर सच ये है उन्होंने अब सही कदम बढाया है ये बात दीगर है कि उनके तमाम अनशन, ताम झाम के साथ ईमानदारी का ढोल पीटना और दूसरो से साफ़ सफाई की उम्मीद (संविधान में संशोधन) सरीखे कार्यक्रमों ने चर्चित तो कर दिया मगर दूसरे रूप में (केवल आदर्शवादी) और अब राजनैतिक मैदान में कूदने की तय्यारी के निर्णय ने अन्ना टीम को कई कदम पीछे कर दिया है.
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Com आदि दर्जनों वेबसाइटों पर उपलब्ध अनगिनत लेखों को पढ़कर इस्लाम के बारें में सच्ची जानकारी हासिल करें तथा उनमें दी गई जानकारियों व दावों पर खुद से मनन व शोध (research) कर सही-गलत का निर्णय करें, अपनी आँखें खोलें, तब कुछ लिखें-इस्लाम के बारे में सही जानकारी रखे बिना यूँ ही यूरोप / अमरीका की अंधी नक़ल करते हुए धर्मनिरपेक्षता व धार्मिक सदभाव का अन्धा ढोल पीटना ही धार्मिक आतंकवाद व धार्मिक झगडे को बढ़ावा देता है |
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भाई राशिद आपके रोष को पढ़कर बहुत अच्छा लगा, यही रोष तो जगाना है हर युवा हर किशोर के मन में इसके लिए चाहे ढोल पीटना पड़े चाहे अपराधी को| दूसरी बात कि स्त्री खुद मुह तोड़ जवाब दे यहाँ आप गलती कर गए किसी भी स्त्री के अन्दर जबतक दम रहता है वह बलात्कारी को सफल नहीं होने देती| बलात्कार स्त्री के शारीरिक सामर्थ्य और उसके प्रतिरोध की ताकत टूट जाने के बाद ही होता है और स्त्री छोडिये किसी हाथी के भी असीम ताकत नहीं होती वह भी प्रतिकार करते करते अंततः थक कर हार जाता है|