कवि कर्म की जिम्मेदारियों में से सबसे अहम है कि एक कवि के रूप में हमें तटस्थ होना चाहिए और निरपेक्ष भी, यदि मैं अपनी ही किसी कमी को कविता के रुप में ढाल रहा हूँ तो उसे वैसा ही प्रस्तुत करने की ईमानदारी चाहिए यही श्रेष्ठ कविधर्म है कि जब हम खुद को प्रोजेक्ट कर रहे हैं तो ईमानदारी बरतें।
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वो नकली साधक है और दूसरे भी उनके साथी, जो यूनियन बनाते है वो साधक नहीं है | यूनियन दार द्वेष की बिना नहीं बनती | इनक्लाब जिंदाबाद!!! पक्षपात नहीं तटस्थ होना चाहिये | तो ये घर में यूनियन बन जाती है तीन आदमी एक तरफ दो-चार मेम्बर दूसरे तरफ लॉबीयाँ बन जाती है | ये सब हल्की अवस्था है | घर में कलह बना रहेगा | तो अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष, अभीनिवे श..