फिर दिन, काल, परिस्थितियाँ नहीं देखी जातीं, जब दुश्मन दिख जाता है उसे खदेड़ने के लिए सभी को तत्पर होना ही पड़ता है, क्या करें।
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कृष्ण दिशा देते हैं कि व्यवस्था के खिलाफ लफ्फाजियाँ करना आसान है लेकिन उसे जनानुरूप बनाने के लिये दृष्टिकोण चाहिये और इसके लिये स्वयं ही तत्पर होना होगा।
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इस कारण व्यक्ति, समाज तथा देश को अपनी समस्याओं के समाधान करने के लिए स्वयं तत्पर होना हैं, ज़िंदगी को बेहतर बनाने के लिए स्वयं प्रयत्नशील होना है।
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फिर दिन, काल, परिस्थितियाँ नहीं देखी जातीं, जब दुश्मन दिख जाता है उसे खदेड़ने के लिए सभी को तत्पर होना ही पड़ता है, क्या करें।
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साथ ही, उनके करने-कराने में जो समय और धन का व्यय हो तथा शारीरिक परिश्रम की आवश्यकता पड़े उसके लिए तत्पर होना भी आवश्यक से भी आवश्यक है।
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इन सबसे ऊपर, कोई भी डियाब्लो 2 का 3 डी संस्करण बनाना चाहता है, तो हम शायद अब भी हमारे लिए कुछ नए वर्गों के लिए तत्पर होना चाहिए.
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इस अवधि में हर विचारशील, भावनाशील, प्रतिभावान को ऐसी भूमिका निभाने के लिये तैयार-तत्पर होना है, जिससे वे असाधारण श्रेय सौभाग्य के अधिकारी बन सकें।
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काम-क्रोध तो मनुष्य के वैरी हैं ही परंतु लापरवाही, आलस्य, प्रमाद-ये मनुष्य की योग्यता के वैरी हैं, इसलिए अपने कार्य में तत्पर होना चाहिए।
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यह विचार मन से बिल्कुल निकाल देना चाहिए और भावनाशील व्यक्तियों को विचार क्रांति का क्षेत्र व्यापक बनाने एवं उसे संगठित करने में निरंतर लगे रहने को तत्पर होना चाहिए।
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उन्हें टीमवर्क के रूप में काम करने के लिए तत्पर होना चाहिए और रोगियों को समझने तथा ऑब्जरवेशन का अच्छा ज्ञान होना चाहिए तथा व्यवहारकुशल और मृदुभाषी होना आवश्यक है।