विभक्तियों के नाम के अनुसार तत्पुरुष समास छह भेद हैं-# कर्म तत्पुरुष (गिरहकट-गिरह को काटने वाला) # करण तत्पुरुष (मनचाहा-मन से चाहा) # संप्रदान तत्पुरुष (रसोईघर-रसोई के लिए घर) # अपादान तत्पुरुष (देशनिकाला-देश से निकाला) # संबंध तत्पुरुष (गंगाजल-गंगा का जल) # अधिकरण तत्पुरुष (नगरवास-नगर में वास)
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ब्रह्माण्ड शब्द के विन्यास के उपरान्त, “ दीर्घ स्वर सन्धि (अ + आ) और संबन्ध तत्पुरुष समास ” के अनुसार ब्रह्माण्ड शब्द का अर्थ जो निकल कर आता है वो है “ ब्रह्म का अण्ड अर्थात् जीव का अण्डा ”, क्योंकि ब्रह्म का अर्थ होता है जीव और अण्ड का अर्थ होता है अण्डा अर्थात् हमारा ब्रह्माण्ड जीव के अण्डे जैसा है।
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विभक्तियों के नाम के अनुसार इसके छह भेद हैं-(1) कर्म तत्पुरुष गिरहकट गिरह को काटने वाला (2) करण तत्पुरुष मनचाहा मन से चाहा (3) संप्रदान तत्पुरुष रसोईघर रसोई के लिए घर (4) अपादान तत्पुरुष देशनिकाला देश से निकाला (5) संबंध तत्पुरुष गंगाजल गंगा का जल (6) अधिकरण तत्पुरुष नगरवास नगर में वास (क) नञ तत्पुरुष समास जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं।
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विभक्तियों के नाम के अनुसार इसके छह भेद हैं-(1) कर्म तत्पुरुष गिरहकट गिरह को काटने वाला (2) करण तत्पुरुष मनचाहा मन से चाहा (3) संप्रदान तत्पुरुष रसोईघर रसोई के लिए घर (4) अपादान तत्पुरुष देशनिकाला देश से निकाला (5) संबंध तत्पुरुष गंगाजल गंगा का जल (6) अधिकरण तत्पुरुष नगरवास नगर में वास (क) नञ तत्पुरुष समास जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं।