| 31. | ज्ञानं यदा तदा विद्याद्विवृद्धं सत्त्वमित्युत ॥१४-११॥
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| 32. | शुक्लपक्षे समग्रे तु तदा सूर्योदये सति ।।
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| 33. | वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं द्वितीयकम्।।
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| 34. | वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी!
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| 35. | शुक्ल पक्षे सम्र तु तदा सूर्योदयेसति ।।
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| 36. | वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं सप्तम्।।
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| 37. | तदा शुभाशुभं विद्यात् कर्मभेदैरिहार्जितै: H “”
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| 38. | स देव्या दर्शित: साक्षात्प्रीतास्मीति तदा किल॥ 7 ॥
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| 39. | द्वे सहस्त्रे तु वध्येते पशुनंन्वहनं तदा |
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| 40. | निःस्पृहः सर्वकामेभ्यो युक्त इत्युच्यते तदा ॥६-१८॥
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