माँ की तरह हम उसे भी टेकिंग फार ग्रांटेड ही लेते हैं.... जी हाँ प्रकृति का जादू.... सुबह का दोपहर... शाम और रात में बदलना..... बीज का पौधा और फिर पेड़ बनना.... कली... फूल और फल आना..... नदियों का बहना.... समंदर का हरहराना..... बादलों का आना छाना और बरसना..... गरजना.... बिजली का तड़पना... और हाँ इंद्रधनुष तनना.... फूलों का खिलना.... चिड़ियों का चहचहाना.... क्या है जिसे हम जादू के अतिरिक्त कुछ और कह सकते हैं?