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तपोमय उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
31.युवावस्था प्राप्त होने पर उस बालक भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण की भांति गुरू के श्रीचरणों में खूब आदर प्रेम रखते हुए सेवा तपोमय जीवन बिताया।

32.अहिंसा, संयम एवं तपोमय आदर्श जीवन के प्रतीक, भगवान महावीर को इस संतप्त विश्व में स्मरण कर, उनके जीवनादर्शों के चिन्तन एवं पालन की जितनी आवश्यकता आज उपस्थित हुई है, उतनी संभवत: पहले कभी नहीं रही होगी।

33.अहिंसा, संयम एवं तपोमय आदर्श जीवन के प्रतीक, भगवान महावीर को इस संतप्त विश्व में स्मरण कर, उनके जीवनादर्शों के चिन्तन एवं पालन की जितनी आवश्यकता आज उपस्थित हुई है, उतनी संभवत: पहले कभी नहीं रही होगी।

34.दिलीप और सुदक्षिणा के तपोमय जीवन से प्रारम्भ इस काव्य में क्रमश: रघुवंशी राजाओं की वदान्यता, वीरता, त्याग और तप की एक के बाद एक कहानी उद्घाटित होती है और काव्य की समाप्ति कामुक अग्निवर्ण की विलासिता और उनके अवसान से होती है।

35.दिलीप और सुदक्षिणा के तपोमय जीवन से प्रारम्भ इस काव्य में क्रमश: रघुवंशी राजाओं की वदान्यता, वीरता, त्याग और तप की एक के बाद एक कहानी उद्घाटित होती है और काव्य की समाप्ति कामुक अग्निवर्ण की विलासिता और उनके अवसान से होती है।

36.लगभग पूरे विश्व में एक करोड़ लोग गायत्री परिवार से किसी न किसी रूप में जुड़े है जो पूज्य गुरुदेव के विचारों से प्रभावित हैं, उनके त्याग तपोमय जीवन का सम्मान करते हैं एवं उनकी प्रेरणाओं को सुनने जानने व अपनाने का प्रयास करते है।

37.मुगलों का बढ़ता अत्याचार एक नारी को सहन नहीं हुआ उसने रास रंग का जीवन न जीकर त्याग तपोमय जीवन जिया व अपने पुत्र को वीर शिवाजी के रूप में इतना सशक्त बनाया कि वो अकेले सम्पूर्ण मुगल साम्राज्य से टकराने का साहस कर गए ।

38.नाथ योग सिद्धपीठ गोरक्षनाथ-मंदिर गोरखपुर के योग तपोमय पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 सम्वत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज द्वारा मांगलिक वैदिक मंत्रोच्चारणपूर्वक अपने उत्तराधिकारी पट्ट शिष्य योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न हुआ।

39.नाथ योग सिद्धपीठ गोरक्षनाथ-मंदिर गोरखपुर के योग तपोमय पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 सम्वत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज द्वारा मांगलिक वैदिक मंत्रोच्चारणपूर्वक अपने उत्तराधिकारी पट्ट शिष्य योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न हुआ।

40.इस बार मैं पुष्प लेकर नहीं, कलियाँ तोड़ कर आने की तैयारी करूँगा; और ऐ विश्व के प्रथम प्रभात के मन्दिर, उषा के तपोमय प्रकाश की चादर तुम्हें ओढ़ाकर, तुम्हारे उस अन्तरतट का चित्र खींचने आऊँगा जहाँ तुम अशेष संकटों पर अपने हृदय के टुकड़े बलि करते हुए, शेष के साथ खिलवाड़ कर रहे होगे ।

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