यह उर्जारूप अपने चरम बिंदु पर पहुंचकर तरंग रूप में बदल जाता है और अंत में यह तरंग रूप निराकार रूप में बदलता रहता है इस निराकार रूप को हम ईश्वर कहते हैं।
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यह उर्जारूप अपने चरम बिंदु पर पहुंचकर तरंग रूप में बदल जाता है और अंत में यह तरंग रूप निराकार रूप में बदलता रहता है इस निराकार रूप को हम ईश्वर कहते हैं।
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इस विविधता को एकाधिक ईसीजी विद्युत् चालकों को छाती पर स्थापित कर एवं विद्युत् चालकों से प्राप्त सम्पूर्ण संकेतों में तरंग रूप के आकार-विज्ञान में भिन्नता की संगणना के द्वारा मापा जा सकता है.
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इस विविधता को एकाधिक ईसीजी विद्युत् चालकों को छाती पर स्थापित कर एवं विद्युत् चालकों से प्राप्त सम्पूर्ण संकेतों में तरंग रूप के आकार-विज्ञान में भिन्नता की संगणना के द्वारा मापा जा सकता है.
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जब द्रव्य ठोस रूप में होता है तब हम इसके द्रव, वायु, उर्जा एवं तरंग रूप को नहीं देख सकते जब अन्य रूप में होता है तब शेष चार रूप नहीं देख सकते।
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द्रव्य के तरंग रूप से निराकार रूप में बदलने की क्रिया सिर्फ ब्लेक होल (कृष्ण बिवर) बन गए सूर्य के केन्द्र में ही होती है अन्य किसी जगह यह क्रिया संभव नहीं है।
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आत्मा द्रव्य का प्रथम साकार कण है यह ईश्वर के चारों ओर प्रभामंडल के रूप में स्थित होता है हम इसे द्रव्य का सबसे छोटा रूप कह सकते है यह द्रव्य का तरंग रूप होता है।
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छिछले प्रदेशों में, विशषकर ज्वारभाटांतर (littoral) कटिबंध में, तरंगों का वेग इतना अधिक हाता है कि वहाँ निक्षेपित बालू और मिट्टी उनके संकेतों पर नाचती फिरती हैं और बहुधा उन्हें भी तरंग रूप दे देती हैं।
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सूक्ष्म जगत का सारा द्रव्य तरंग रूप में होता है हम सूक्ष्म जगत की एक चीज प्रकाश को ही देख पाते हैं खाली आँखों से हम प्रकाश का भी तीस प्रतिशत भाग ही देख पाते हैं ।
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हम चलते बोलते खाते पीते यहाँ तक कि सोचते हुए जो कुछ भी क्रिया कर्म संपादित करते हैं, वह अदृश्य तरंग रूप में इस ब्रह्माण्ड में सुरक्षित रहता है और उस क्रिया की प्रतिक्रिया होती ही है.