उसमे एक महिला के आंसुओं या अस्तव्यस्त, उलझे हुए खुले बालों के जरिए एक चित्रकार हमारे देश के दुःखी और हताश चहरे की तस्वीर खींचना चाहता है, जो कि घोर वेदना और व्यथा के दौर से गुजर रहा है।
32.
जहां एक दशक पूर्व तक भी दुनिया की एक तस्वीर खींचना, खास ठिकानों के संदर्भ में आर्थिक और राजनीतिक तंत्र का पूर्वानुमान लगाना संभव प्रतीत होता था, आज इस तरह के प्रयास प्रश्नों और संदेहों से परे नहीं दिखते.
33.
उसमे एक महिला के आंसुओं या अस्तव्यस्त, उलझे हुए खुले बालों के जरिए एक चित्रकार हमारे देश के दुःखी और हताश चहरे की तस्वीर खींचना चाहता है, जो कि घोर वेदना और व्यथा के दौर से गुजर रहा है।
34.
जहां एक दशक पूर्व तक भी दुनिया की एक तस्वीर खींचना, खास ठिकानों के संदर्भ में आर्थिक और राजनीतिक तंत्र का पूर्वानुमान लगाना संभव प्रतीत होता था, आज इस तरह के प्रयास प्रश्नों और संदेहों से परे नहीं दिखते.
35.
मेरे कुत्ते ब्राँदो को मेरा बार बार बिना वजह रुकना और तस्वीर खींचना अच्छा नहीं लगता, अधिकतर जब कैमरा क्लिक करने लगता हूँ तो झटका लगा कर हिला देता है, या फ़िर कभी फ़ूल के पीछे से आ कर तस्वीर बिगाड़ देता है.
36.
मेरे कुत्ते ब्राँदो को मेरा बार बार बिना वजह रुकना और तस्वीर खींचना अच्छा नहीं लगता, अधिकतर जब कैमरा क्लिक करने लगता हूँ तो झटका लगा कर हिला देता है, या फ़िर कभी फ़ूल के पीछे से आ कर तस्वीर बिगाड़ देता है.
37.
तुम पर तस्वीर खींचना, तो एक कमरे में चल रहा है और वहाँ अपने सिर के ऊपर उच्च कल्पना एक बड़ी है कुछ की जरूरत है-वास्तव में बड़ी स्क्रीन की तरह, “(इस बिंदु पर अपने हाथों से कोई आकृति बनाने के लिए यह प्रतीक है)”
38.
परन्तु पुरानी दिल्ली की गलियों में तस्वीर खींचना हमेशा ही चुनौती भरा रहता है, गलियां इतनी संकरी हैं कि तस्वीर के लिए सही रौशनी मिलना बहुत मुश्किल होता है और उस पर इतनी भीड़ में सही एंगल का मिल पाना पेरशानी भरा रहता है, लेकिन पुरानी दिल्ली कि तस्वीरों का मुकाबला और कोई जगह नहीं कर सकती शायद यही वजह है कि यह जगह हर फोटोग्राफर की
39.
गुरु ने कहा कि वो अपने गुरु अर्थात उसकी आत्मा की तस्वीर खींचना चाहता था, जिसके लिए उन्होंने उसे दो मौके दे दिए थे!!! किन्तु, चेले का उदास चेहरा देख उन्होंने कहा कि वो उनके शरीर की तस्वीर चाहता था, गुरु की नहीं!!! तीसरी बार चेला सफल हुवा उनके शरीर कि तस्वीर खींचने में, जो उस पुस्तक में भी प्रकाशित थी...
40.
परन्तु पुरानी दिल्ली की गलियों में तस्वीर खींचना हमेशा ही चुनौती भरा रहता है, गलियां इतनी संकरी हैं कि तस्वीर के लिए सही रौशनी मिलना बहुत मुश्किल होता है और उस पर इतनी भीड़ में सही एंगल का मिल पाना पेरशानी भरा रहता है, लेकिन पुरानी दिल्ली कि तस्वीरों का मुकाबला और कोई जगह नहीं कर सकती शायद यही वजह है कि यह जगह हर फोटोग्राफर की exhibition का हिस्सा बनती है.