इस गीत की कुछ पंक्तियां हैं, ” रोटी नाम सत है, खाए से मुगत है, ऐरावत पर इंदर बैठे बांट रहे टोपियां, झोलियां फैलाए लोग, भूल रहे सोटियां, वायदों की चूसनी से छाले पड़ जीभ पर, रसोई में लाव लाव भैरवी बजत है, बोले खाली पेट की करोड़ों करोड़ कूंडियां, तिरछी टोपी वाले भोपे भरे हैं बंदूकियां, भूख के धरमराज यही तेरा व्रत है, रोटी नाम सत है कि खाए से मुगत है।