यह तुम्बी ऐसी करामाती है कि जब तुम ‘ तड़तड़ तुम्बी तड़ंतड़ा ' कहोगे, तो जिसको भी ध्यान मे ं रखकर कहोगे, तुम्बी उसी को तड़ातड़ लगने लगेगी।
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यह तुम्बी ऐसी करामाती है कि जब तुम ‘ तड़तड़ तुम्बी तड़ंतड़ा ' कहोगे, तो जिसको भी ध्यान मे ं रखकर कहोगे, तुम्बी उसी को तड़ातड़ लगने लगेगी।
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यह तुम्बी ऐसी करामाती है कि जब तुम ‘ तड़तड़ तुम्बी तड़ंतड़ा ' कहोगे, तो जिसको भी ध्यान मे ं रखकर कहोगे, तुम्बी उसी को तड़ातड़ लगने लगेगी।
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“समय बीतने पर शैव्या ने असमंज नामक एक अत्यन्त रूपवान पुत्र को जन्म दिया और वैदर्भी के गर्भ से एक तुम्बी उत्पन्न हुई जिसे फोड़ने पर साठ हजार पुत्र निकले।
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तुम्बी की ‘ टुंग टुंग ' उसे इतनी ग्रेसफ़ुल और अद्भुत लगती थी कि वह जब भी अपनी हाई फ़्रीक्वेंसी पर बजती है, कहीं भी अलग ही सुनाई देती है।
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” समय बीतने पर शैव्या ने असमंज नामक एक अत्यन्त रूपवान पुत्र को जन्म दिया और वैदर्भी के गर्भ से एक तुम्बी उत्पन्न हुई जिसे फोड़ने पर साठ हजार पुत्र निकले।
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जह तह कम्मविमुक्का लोयग्गपइट्ठिया होंति ॥ यदि तुम्बी के ऊपर की मिट्टी की तहें हटा दी जाएँ तो वह हलकी होने के कारण पानी पर आ जाती है और तैरने लगती है।
38.
हे ब्रह्मन्, अनेक तन्त्रियों (तारों) और नाड़ियों से वेष्टित शरीर को धारण करने वाली तृष्णा निरतिशय परमानन्द के लिए उपयुक्त नहीं है, अतः यह जीर्ण तुम्बी से युक्त वीणा है।
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उसने जब अपने गुरु से इसके लिए आज्ञा मांगी तो उन्होंने चलते समय उसे एक नीम की लकड़ी से बनी तुम्बी थमा दी और कहा कि जहाँ-जहाँ तुम स्नान करना इसे भी स्नान करवाते जाना.
40.
उत्तर और पूर्व भारत में इसे पुंगी, तुम्बी, नागासर, और सपेरा बांसुरी के नामों से पुकारा जाता है, तो दक्षिण में नागस्वरम, महुदी, पुंगी और पमबत्ती कुज़ल नाम प्रचलित है।