संगम के सम्बन्ध में ॠग्वेद में कहा गया है कि जहाँ कृष्ण और श्वेत जल वाली जल धाराओं का संगम होता है वहाँ स्नान करने से मनुष्य मोक्ष को पाता है व स्वर्ग का स्थान मिलता है तथा जो प्रयाग का दर्शन व उसका नामोच्चारण करता है तथा संगम स्थल जल में स्नान करता है व उस स्थल की पवित्र मिट्टी से अपने माथे पर तिलक करता है वह पापमुक्त हो जाता है यहां देह त्याग करने वाला पुन: संसार में उत्पन्न नहीं होता मोक्ष को पाता है.