निजी तौर पर मैं बहुत प्रभावित हूँ. साधुवाद. दिल्ली से प्रकाशित एक साहित्यिक त्रैमासिकी समकालीन अभिव्यक्ति के सम्पादन कार्य से जुडा हूं.
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साहित्यिक पत्रिकाएं न चले ये किसी हद तक समझ में आता है॥मैंने भी एक साहित्यिक त्रैमासिकी के चार अंक निकाले हैं तो कुछ ख़बर है..
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10 मई, 2011 को नई दिल्ली में फैज़ अहमद फैज़ पर थिंक इंडिया त्रैमासिकी के विशेष अंक के विमोचन समारोह में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा दिया गया अभिभाषण
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अलंकरण समारोह में 20 से अधिक किताबों का विमोचन भी विभिन्न विद्वान साहित्यकारों के हाथों संपन्न हुआ जिसमें नई त्रैमासिकी पांडुलिपि, अज्ञेय पर केंद्रित कृति ‘कठिन प्रस्तर में अगिन सुराख'