एसएनआर-जीपीआई (जो खुद थैलेमस के निरोधी हैं) के निरोधात्मक प्रभाव (स्ट्रिआटल निरोधात्मक प्रभाव द्वारा) के चलते अंतिम निष्कर्ष स्वरुप थैलेमस पर निरोधात्मक प्रभाव का लोप होता है.
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एसएनआर-जीपीआई (जो खुद थैलेमस के निरोधी हैं) के निरोधात्मक प्रभाव (स्ट्रिआटल निरोधात्मक प्रभाव द्वारा) के चलते अंतिम निष्कर्ष स्वरुप थैलेमस पर निरोधात्मक प्रभाव का लोप होता है.
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एसएनआर-जीपीआई (जो खुद थैलेमस के निरोधी हैं) के निरोधात्मक प्रभाव (स्ट्रिआटल निरोधात्मक प्रभाव द्वारा) के चलते अंतिम निष्कर्ष स्वरुप थैलेमस पर निरोधात्मक प्रभाव का लोप होता है.
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एसएनआर-जीपीआई (जो खुद थैलेमस के निरोधी हैं) के निरोधात्मक प्रभाव (स्ट्रिआटल निरोधात्मक प्रभाव द्वारा) के चलते अंतिम निष्कर्ष स्वरुप थैलेमस पर निरोधात्मक प्रभाव का लोप होता है.
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इसके फलस्वरूप एसटीएन भी तत्पर होकर कॉम्पलेक्स एसएनआर-जीपीआई को उत्तेजित करते हैं, जहां एसएनआर-जीपीआई कॉम्पलेक्स का मुख्य कार्य थैलेमस पर निरोधी प्रभाव डालना होता है.
36.
स्ट्रिएटम एवं एसटीएन को कॉर्टेक्स और थैलेमस से प्राप्त इनपुट ग्लूटामेटर्जिक होते हैं, किन्तु स्ट्रिएटम, पैलिडम, और सब्सटेंशिया निग्रा पार्स रेटिकुलाटा, सभी जीएबीए का उपयोग करते हैं.
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स्ट्रिएटम एवं एसटीएन को कॉर्टेक्स और थैलेमस से प्राप्त इनपुट ग्लूटामेटर्जिक होते हैं, किन्तु स्ट्रिएटम, पैलिडम, और सब्सटेंशिया निग्रा पार्स रेटिकुलाटा, सभी जीएबीए का उपयोग करते हैं.
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एसएनआर और जीपीआई, लगातार जीएबीए निर्मित करते हुए अन्सा लेंटिकुलारिस परिपथ द्वारा थैलेमस से संपर्क में रहते हुए उस पर निरोधात्मक प्रभाव क्रियान्वित करने हेतु प्रयत्नशील रहते हैं.
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एसएनआर और जीपीआई, लगातार जीएबीए निर्मित करते हुए अन्सा लेंटिकुलारिस परिपथ द्वारा थैलेमस से संपर्क में रहते हुए उस पर निरोधात्मक प्रभाव क्रियान्वित करने हेतु प्रयत्नशील रहते हैं.
40.
प्रत्येक दृष्टिपथ सेरीब्रम से होकर पीछे की ओर जाता है तथा थैलेमस में के न्यूक्लियस जिन्हें लेटरल जेनिकुलेट बॉडी कहा जाता है, के साथ तंतुमिलन करता है।