हमारे उच्च वर्ग को चाहिये कि वे सुरक्षा जैसे मामलों पर धैर्य दिखायें और अपनी थोड़ी असुविधा को तूल न दे कर उदाहरण प्रस्तुत करें, जिन्हे आम लोग भी अपनाएगें और हम सब सुरक्षित महसूस करेगें ।
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जिस प्रकार एक नया जूता पहनते समय हमें थोड़ी असुविधा होती है पर कुछ समय पहन लेने के बाद वह आरामदेह हो जाता है, उसी प्रकार सूचना का कानून भी समय बीतने के साथ-साथ और सुविधाजनक होता जाएगा।
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सफलता न मिलने से भौतिक जीवन के उत्कर्ष में थोड़ी असुविधा रह सकती है, पर नीति त्याग देने पर तो लोक, परलोक, आत्म-संतोष चरित्र, धर्म, कर्तव्य और लोकहित सभी कुछ नष्ट हो जाता है।
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संजय जी से मैं अनुरोध करूंगा कि वो अपने सदस्यों के सीधे लिखने की सुविधा दें, उससे संजय जी को थोड़ी असुविधा हो सकती है पर कम्युनिटी ब्लाग चलाना कोई आराम का खेल तो है नहीं, सो इतना तो आपको झेलना ही पड़ेगा।
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AMक्लिष्ट हिंदी पढने में थोड़ी असुविधा होती तो है....कुछ समय ज्यादा लगता है समझने में...मगर एक बहुत बड़ा फायदा भी कि दिनों दिन नए शब्द सीखने को मिल जाते हैं....ब्लॉग पढने वाले तो पाठक ही होते हैं....हाँ... सहमत और असहमत हो सकते हैं....
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क्लिष्ट हिंदी पढने में थोड़ी असुविधा होती तो है....कुछ समय ज्यादा लगता है समझने में...मगर एक बहुत बड़ा फायदा भी कि दिनों दिन नए शब्द सीखने को मिल जाते हैं....ब्लॉग पढने वाले तो पाठक ही होते हैं....हाँ... सहमत और असहमत हो सकते हैं....
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क्या आसान तरीका है अपना पल्ला झाड़ने का, अरे क्या ये हमारा देश नहीं? क्या उसकी इज्जत की खातिर थोड़ी असुविधा नहीं झेल सकते हम? मुझे याद है चीन जैसे देश में एक एक नागरिक ओलम्पिक की तैयारी में कमर कस के जुट गया था, हर इंसान अंग्रेजी सीख रहा था कि आने वाले मेहमानों की सहायता कर सके.
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जब भी अकेले निकलना होता है, तब यात्रा पूरी तरह से अपने अनुसार ढाली जा सकती है, जहाँ भी समय बचाया जा सकता है, बचाया जाता है भले ही थोड़ी असुविधा ही क्यों न हो? रात और दिन का कोई भेद नहीं रहता है इन यात्राओं में क्योंकि अकेले होने पर कभी भी सोया जा सकता है और कभी भी जागा जा सकता है।
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क्या आसान तरीका है अपना पल्ला झाड़ने का, अरे क्या ये हमारा देश नहीं? क्या उसकी इज्जत की खातिर थोड़ी असुविधा नहीं झेल सकते हम? मुझे याद है चीन जैसे देश में एक एक नागरिक ओलम्पिक की तैयारी में कमर कस के जुट गया था, हर इंसान अंग्रेजी सीख रहा था कि आने वाले मेहमानों की सहायता कर सके.पर हम तो महान देश के महान नागरिक है.
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इस छठे पुस्तक मेले में देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित प्रकाशक, पाठक-वर्ग को लुभाने शहर पधारे हुए हुए हैं.मौसम की नज़ाकत से यदि आप डर रहे हैं, तो घबराइये नहीं! 'वाटर-प्रूफ़ ' पंडाल की व्यवस्था आयोजकों ने कर रखी है जनाब!हाँ! यदि आप कोई झोला या बैग ले जाने की सोच रहे हैं तो थोड़ी असुविधा हो सकती है, क्योंकि आपकी तलाशी ली जाएगी.