अब और आगे चलें तो बचे हुए निम्नलिखित वर्ण इस प्रकार हैं-य्-तालव्य र्, ळ्-मूर्धन्य ल्-दन्त्य व्-दन्तोष्ठ्य ह्-कण्ठ्य (संस्कृत के अनुसार)
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अगले भाग में हम देखेंगे स्वर और व्यंजन का उच्चार, उच्चारित होने वाले शब्दों के लिये शरीर के ध्वनि तंत्र का अध्ययन, कण्ठ्य, तालव्य, दन्त्य उच्चार आदि के बारे में जानकारी....
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जिन वर्णों का उच्चारण सिसकार के साथ करना पड़ता है, उनको अन्तरंग भाषा वाले बहुत कड़ी आवाज से बोलते हैं, यहाँ तक कि वह दन्त्य स हो जाता है।
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अगले भाग में हम देखेंगे स्वर और व्यंजन का उच्चार, उच्चारित होने वाले शब्दों के लिये शरीर के ध्वनि तंत्र का अध्ययन, कण्ठ्य, तालव्य, दन्त्य उच्चार आदि के बारे में जानकारी….
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जिन लोगों को पहले यह दन्त्य, कण्ठ्य या तालव्य की अवधारणा मालूम नहीं थी, उन्हें अब यह पता चल गया होगा कि इन व्यंजनों को इस प्रकार ही क्यों तालिका में रखा गया है।
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जिन लोगों को पहले यह दन्त्य, कण्ठ्य या तालव्य की अवधारणा मालूम नहीं थी, उन्हें अब यह पता चल गया होगा कि इन व्यंजनों को इस प्रकार ही क्यों तालिका में रखा गया है।
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जिन लोगों को पहले यह दन्त्य, कण्ठ्य या तालव्य की अवधारणा मालूम नहीं थी, उन्हें अब यह पता चल गया होगा कि इन व्यंजनों को इस प्रकार ही क्यों तालिका में रखा गया है।
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जैसे कि अंग्रेज़ी न्यूज़ चैनल के न्यूज़रीडर्स, नेपाली माओवादी नेता प्रचण्ड को प्रचन्दा कह कर बुलाते हैं क्योंकि अंग्रेज़ी लिपि में दन्त्य ' द ' और मूर्धन्य ' ड ' दोनों प्रकार के उच्चारण के लिए एक ' डी ' ही है।
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हमारी वर्णमाला आमतौर पर हमें पूरी तरह याद होती ही है, कुछ लोगों को “ दन्त्य ”, “ तालव्य ” आदि शब्दों के अर्थ भी पता होंगे, लेकिन इस वर्णमाला की रचना ऐसी ही क्यों की गई? या इसके पीछे कोई तर्कसंगत कारण है?
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मुख्य रूप से ह्रस्व एवं दीर्घ मात्रा, अनुस्वार, अनुनासिकता, कण्ठ्य, तालव्य, मूर्द्धन्य, ओष्ठ्य, वस्त्र्य, दन्त्य, दन्तोष्ठ्य ध्वनियाँ, श्वास की मात्रा, उच्चारण अवयवों में परस्पर स्पर्श एवं घर्षण, संयुक्त व्यंजन, विसर्ग की जानकारी देना उपयोगी रहेगा ।-