| 31. | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।
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| 32. | काशी पहुंचे उदघोष किया, पौराणिक दल का दलन किया ।
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| 33. | कि वह दलन के प्रति निष्क्रीय शरणागति और राजनीतिक यथास्थिति का
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| 34. | बज्र देह दानव दलन, जय, जय जय कपि सूर॥
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| 35. | दलन रोग भव मूरि अमी की।तात मात सब बिधि तुलसी की।।
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| 36. | आह विष शीतल! जलन दाह पीड़ा दलन सब शांत, क्या मृत्यु!
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| 37. | जब दक्ष प्रश्न सामने आया अपनी दमक का दलन होते पाया!
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| 38. | देशों रूस के निमंत्रण और मार्क्सवाद दलन का विरोध करने वाला था।
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| 39. | आरति कीजै हनुमान लला की. दुष्ट दलन रघुनाथ कला की..
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| 40. | आँवागारंद को समर्थन दिया था, क्यों कि वह दलन के प्रति निष्क्रीय
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