फिर भी बृजेश जी जागरण के बचाव में खड़े हैं, तो सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि धूमिल ने जैसा कभी कहा था कि रामनामी बेचने से बेहतर रंडियों की दलाली करना है।
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मीडिया में ऐसे लोग आ रहे हैं जिनका मकसद पत्रकारिता के उच्च मानदंडों का पालन करना नहीं बल्कि अपने मीडिया माध्यम के जरिए सरकार, मंत्री, नौकरशाह को दबाव में लेकर अपना काम कराना और दलाली करना है.
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इस उद्घोष के साथ मध्यप्रदेश के कोने-कोन से आए किसानो, मजदूरों आदिवासियों, दलितो, स्त्री-पुरूषों ने मध्य प्रदेश सरकार को चेतावनी दी कि वह कंपनियों की दलाली करना और प्रदेश की जनता पर जुल्म ढाना बंद करें।
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मीडिया में ऐसे लोग आ रहे हैं जिनका मकसद पत्रकारिता के उच्च मानदंडों का पालन करना नहीं बल्कि अपने मीडिया माध्यम के जरिए सरकार, मंत्री, नौकरशाह को दबाव में लेकर अपना काम कराना और दलाली करना है.
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अब अगर ऊपरवाले ने!...हमसे प्रसन्न हो हमें ये तेज़ कैंची के माफिक कचर-कचर करती जिव्हा रूपी नेमत बक्शी है तो क्यों ना इससे भरपूर फायदा उठाया जाए?और ये आपसे किस गधे ने कह दिया कि दलाली करना गलत बात है?...पाप है?
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मैंने गुस्से में कहा, ” तुम साफ-साफ क्यों नहीं कहते कि तुम दलाली करना चाहते हो? तुम दलाल बनना चाहते हो? देश को बेचकर तुम अमीर होना चाहते हो? इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या हो सकती है।
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हमसे प्रसन्न हो हमें ये तेज़ कैंची के माफिक कचर-कचर करती जिव्हा रूपी नेमत बक्शी है तो क्यों ना इससे भरपूर फायदा उठाया जाए? और ये आपसे किस गधे ने कह दिया कि दलाली करना गलत बात है? … पाप है?
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दलाली करना आसान होता है क्योकि इससे भौतिक सुविधाएँ मिलती है इससे इतर सत्य और वास्तिविकता पर चलना बेहद कठिन,! खैर इनका हस्र भी प्रभु, बरखा ऑयर राडिया सा होगा …! बहरहाल आपका आलेख काफी सराहनीय और वर्तमान की मांग है.
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यह बात बिल्कुल सच है की आज का अध्यापक स्कूल में पढाने की अपेक्षा अधिकारियों की चमचागिरी, बाबूगिरी, दलाली करना ही पसंद करता है क्योंकि ऐसा अध्यापक ही आने वाली विभागीय आपदाओं से निपट सकता है, यह एक कड़वा सच है, पुनः आपको धन्यवाद आशुतोष
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साफ़ शब्दों में कहा जाये तो दलाली करना! एक पत्रकार कि कमाई को कोई भी सही नज़रों से नहीं देखता इसका यही कारण है कि इस पवित्र पेशे की के आड़ में अवैध उगाही और दलाली करना! ऐसे दलाल पत्रकारों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की जरुरत है!