| 31. | हालांकि प्रभु के दासों का आना जाना व संगति करना लगा ही रहता था।
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| 32. | ह.: (गद्गद स्वर से) अपने दासों का यश बढ़ाने वाला और कौन है।
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| 33. | ह.: (गद्गद स्वर से) अपने दासों का यश बढ़ाने वाला और कौन है।
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| 34. | बहुत दिनों के बाद उन दासों का स् वामी आकर उनसे लेखा लेने लगा।
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| 35. | 19 बहुत दिनों के बाद उन दासों का स्वामी आकर उन से लेखा लेने लगा।
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| 36. | दासों का क्रय-विक्रय यूनान, साइप्रस, रोम, अरब और पश्चि के बाजारों में साधारण घटना थी।
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| 37. | त्रिपिटक की तुलना में कौटिल्य ने कहीं अधिक विस्तार से दासों का वर्गीकरण किया है।
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| 38. | ह.: (गद्गद स्वर से) अपने दासों का यश बढ़ाने वाला और कौन है।
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| 39. | और उन श्लोकों में नारद स्मृति दासों का उल्लेख पाँचवे वर्ण के रूप में करती है।
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| 40. | घ. दासता (धारा ३७०-३७१)-भारतीय दंड संहिता के अनुसार दासों का क्रय विक्रय दंडनीय है।
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