किसी वस्तु का दिगंश (ऐज़िमुथ) दर्शक से मानक दिशा और दर्शक से उस वस्तु की दो लकीरों के बीच का कोण (ऐंगल) होता है-इस चित्र में मानक दिशा उत्तर (
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दिगंश निर्धारण और त्रिभूजन कोणों (triangulation angles) के मापन हेतु ऐसे थियोडोलाइटों का उपयोग किया जाता है, जो समान्य सर्वेक्षण में काम आनेवालों स अधिक सूक्ष्म एवं परिशुद्ध होते हैं।
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जंतर-मंतर के प्रमुख यंत्रों में सम्राट यंत्र, नाड़ी वलय यंत्र, दिगंश यंत्र, भित्ति यंत्र,मिस्र यंत्र, आदि प्रमुख हैं, जिनका प्रयोग सूर्य तथा अन्य खगोलीय पिंडों की स्थिति तथा गति के अध्ययन में किया जाता है।
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है, तुम एक कोण को लक्ष्य देता है (आप दे दिगंश और एक लक्ष्य को पदोन्नति), कर सकते हैं कई लक्ष्यों को एक साथ देखते हैं, और स्वतः ही कई सकते हैं-क्यू एक कैमरा, हथियार प्रणाली,
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जंतर-मंतर के प्रमुख यंत्रों में सम्राट यंत्र, नाड़ी वलय यंत्र, दिगंश यंत्र, भित्ति यंत्र, मिस्र यंत्र, आदि प्रमुख हैं, जिनका प्रयोग सूर्य तथा अन्य खगोलीय पिंडों की स्थिति तथा गति के अध्ययन में किया जाता है।
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जंतर-मंतर के प्रमुख यंत्रों में सम्राट यंत्र, नाड़ी वलय यंत्र, दिगंश यंत्र, भित्ति यंत्र, मिस्र यंत्र, आदि प्रमुख हैं, जिनका प्रयोग सूर्य तथा अन्य खगोलीय पिंडों की स्थिति तथा गति के अध्ययन में किया जाता है।
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तदुपरांत उपयुक्त त्रिकोणमितीय सूत्र से अन्य त्रिभुजों की सारी भुजाओं की लंबाइयाँ निकाली जा सकती है इसी प्रकार क्रमानुगत सभी त्रिभुज हल हो जाते हैं, फिर अ या अ के निर्देशांकों के ज्ञात होने से, आगे के बिंदुओं की दूरी और दिगंश से निर्देशांक निकाल लिए जाते हैं।
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हालांकि, यहां तक कि इलेक्ट्रॉनिक स्कैन रडार और अधिक जल्दी से स्कैन, खोज कर सकते हैं और 33% तक ट्रैकिंग अधिक यंत्रवत् से जल्दी-स्कैन रडार, क़ैदी बनानेवाला एम अधिक सीमा और विशेष रूप से स्कैन, जहां ऊर्जा की क्षति के कारण के किनारे की ओर दिगंश कवरेज है, नाटकीय
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इस नई विधि में त्रिभुजन श्रृंखला से संबद्ध एक बड़ा क्षेत्र लिया जाता है, जिसके बीच एक बिंदु को मूलबिंदु चुनकर उसके देशांतर, अंक्षाश और उससे जानेवाली एक रेखा का दिगंश तथा भू-गोलाभ से संबद्ध दो मापें स्वेच्छया चुन ली जाती है (सामान्यतया इन्हें खगोलीय मानों के लगभग ही समझ लेना ठीक रहता है)।
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इस नई विधि में त्रिभुजन श्रृंखला से संबद्ध एक बड़ा क्षेत्र लिया जाता है, जिसके बीच एक बिंदु को मूलबिंदु चुनकर उसके देशांतर, अंक्षाश और उससे जानेवाली एक रेखा का दिगंश तथा भू-गोलाभ से संबद्ध दो मापें स्वेच्छया चुन ली जाती है (सामान्यतया इन्हें खगोलीय मानों के लगभग ही समझ लेना ठीक रहता है)।