ग्रैनाइट के बने हुए 140 फुट ऊँचे सामान्य दीपस्तंभ में, जिसके आधार का व्यास 42 फुट और ऊपर का व्यास 16 फुट हो, लगभग 58,580 घन फुट चिनाई होती है।
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किंतु समुद्री दीपस्तंभ, जो खुले समुद्र में पड़ी किसी सुनसान चट्टान पर बनते हैं जहाँ दिन-रात भीषण लहरें टक्कर मारा करती है, वास्तव में इंजीयिरी कौशल के विजयस्तंभ ही हैं।
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ग्रैनाइट के बने हुए 140 फुट ऊँचे सामान्य दीपस्तंभ में, जिसके आधार का व्यास 42 फुट और ऊपर का व्यास 16 फुट हो, लगभग 58,580 घन फुट चिनाई होती है।
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दीपस्तंभ, दीपघर, या प्रकाशस्तंभ (Light house), समुद्रतट पर, द्वीपों पर, चट्टानों पर, या नदियों और झीलों के किनारे प्रमुख स्थानों पर जहाजों के मार्गदर्शन के लिए बनाए जाते हैं।
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किंतु समुद्री दीपस्तंभ, जो खुले समुद्र में पड़ी किसी सुनसान चट्टान पर बनते हैं जहाँ दिन-रात भीषण लहरें टक्कर मारा करती है, वास्तव में इंजीयिरी कौशल के विजयस्तंभ ही हैं।
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उनका जीवन कंवल मुनियों के लिए या केवल जैन धर्तियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे मानव जाति के लिए दीपस्तंभ की तरह युगों तक प्रकाशदेता रहेगा इसमें कोई सन्देह नहीं।
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यहाँ के केवल दो दीपस्तंभ उल्लेखनीय हैं: एक बंगाल की खाड़ी में अलग्वाड़ा चट्टान पर, जो सन् 1865 में बना था, और दूसरा बंबई के पास, जो सन् 1874 में बना।
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अंतर केवल यह रहता है कि परास के अनुसार, अर्थात् प्रत्येक दीपस्तंभ से जितनी दूर तक प्रकाश दिखाई देना अपेक्षित है उसके अनुसार ही, उसकी ऊँचाई और प्रकाश उपकरण रखे जाते हैं।
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अंतर केवल यह रहता है कि परास के अनुसार, अर्थात् प्रत्येक दीपस्तंभ से जितनी दूर तक प्रकाश दिखाई देना अपेक्षित है उसके अनुसार ही, उसकी ऊँचाई और प्रकाश उपकरण रखे जाते हैं।
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यहाँ के केवल दो दीपस्तंभ उल्लेखनीय हैं: एक बंगाल की खाड़ी में अलग्वाड़ा चट्टान पर, जो सन् 1865 में बना था, और दूसरा बंबई के पास, जो सन् 1874 में बना।