भारतीय समाज के जटिल ताने-बाने में जाति, धर्म, भाषा, प्रदेश, क्षेत्र की तरह के दो-चार नहीं असंख्य विषय है जिन पर क्षणिक अथवा दीर्घस्थायी उत्तेजना पैदा करके राजनीतिक लाभ उठाये जा सकते हैं, फिर भी आर्थिक विकास का प्रश्न पूरी तरह से ऐसे राजनीतिक प्रकल्पों से निर्णित नहीं हो सकता।
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या ऊर्जा-कचरे से, मोटे तौर पर उन सुविधाओं को कहा जाता है जो एक भट्ठी या बायलर में अपष्टि जला कर गर्मी, भाप और / या बिजली उत्पन्न करते हैं भस्मीकरण में दहन हमेशा सही नहीं होता और भस्मीकरण ढेर के गैसीय उत्सर्ग में सूक्ष्म प्रदूषकों के बारे में चिंता प्रकट की गई है विशेष चिंता कुछ अधिक दीर्घस्थायी अवयवों पर केंद्रित है जैसे