:-सर्व प्रथम ब्राह्ममुहूर्त में उठकर भगवन शंकर द्वारा उपदिष्ट प्रभात-मंगल का स्मरण करना चाहिये! उसके द्वारा-देवग्रहादि-स्मरण से दिन मंगलमय बीतता है और दु:स्वप्न का फल शांत हो जाता है! वह सुप्रभात स्तोत्र इस प्रकार है!:-
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प्रूस्त और बोदेलेयर बनने के तो उसके अरमान नहीं ही होते, वॉल्टर बेन्यामिन बनने का तो वह अपने दु:स्वप्न में भी नहीं सोचता, फिर हिंदी सिनेमा ही ऐसी क्यों बौड़म हो कि अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारे?
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ऐसे में किस्म-किस्म के आधुनिक शौचालय, व फ्लश वाले शौचालय पानी के लिए एक दु:स्वप्न साबित न हों इसलिए हमें इसका रास्ता तलाशना होगा कि शौचालय से पैदा हुई हर वस्तु को काम में लाया जा सके ।
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कैसे भी करके हम वंचित, मनहारों के जीवन में दु:स्वप्न लाइए! इतने सारे घसियारे एक स्वर में शिकायत कर रहे हैं मतलब कहीं तो गड़बड़ी हुई है, समयोचित व सुनियोजिक जनतांत्रिक वितरण में कहीं करके तो लफड़ा हुआ है.
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बुडापेस्ट में आयोजित हंगेरियन ग्रां प्री के दौरान एक्लेस्टोन ने कहा, ‘हो सकता है कि अगले वर्ष से इंडियन ग्रांड प्रीक्स न कराई जाए क्योंकि वहां पर राजनीति इतनी अधिक है कि रेस का आयोजन करना दु:स्वप्न जैसा हो जाता है।'
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यह इस किस्म का अनुमान है, जो कांग्रेस के नेताओं के लिए चैन की नींद सुनिश्चित करता है और उन्हें अन्ना हजारे रूपी दु:स्वप्न को स्थायी वास्तविकता की बजाय क्षणिक घटना के तौर पर खारिज कर देने के लिए फुसलाता है।
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गुप्ता जी और श्रीवास्तव जी, यह इसलिए कि प्राय: जिस उम्र में लोग विदेश जाते हैं उस उम्र में यह प्रश्न अंतर में उठता ही नहीं पर बाद में यही प्रश्न जीवन में एक भीषण दु:स्वप्न की तरह सर उठा सकता है।
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सभी राज्यों में जो होता है वह तो इस देश का दुर्भाग्य है पर इशरत जहाँ की हत्या, जिसे कुछ नापाक किस्म के लोग मुठभेड़ या बहुत हुआ तो फर्जी मुठ भेड़ कहेंगे, इस देश पर भविष्य में बरसने वाले दु:स्वप्न की पूर्व सूचना है.
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पाकिस्तान प्रेरित इस्लामी जिहाद, जो हजारों निर्दोष लोगों का रक्त बहाकर भारत के अस्तित्व को खत्म करने का दु:स्वप्न पाले हुए, राम और कृष्ण की इस पवित्र धरा पर “दारुल इस्लाम” का परचम फहराने के लिए प्रयत्नशील है, भगवा को उसके समकक्ष खड़ा करना एक सोचा-समझा राजनीतिक षड्यंत्र है।
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जरा कल्पना कीजिये कि यदि पहले गेंदबाजी करनी पड़ती तो क्या होता...? हम सभी ने देखा पेसर उमर गुल का हश्र, जिनके लिए यह मुकाबला ताउम्र दु:स्वप्न बन कर रह गया और जिनके एक ओवर में सहवाग के पांच चौके भारतीय प्रशंसको के लिए पोते-पोतियों को इसकी कहानी सुनाने का जोरदार मसाला भी बने.