भाई की गर्दन पर भाई का तन गया दुधारा सब झगड़े की जड़ है पुरखों के घर का बंटवारा एक अकड़ कर कहता अपने मन का हक ले लेंगे और दूसरा कहता तिल भर भूमि न बँटने देंगे पंच बना बैठा है घर में¸ फूट डालने वाला मेरा देश जल रहा¸ कोई नहीं बुझाने वाला।
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भाई की गर्दन पर भाई का तन गया दुधारा सब झगड़े की जड़ है पुरखों के घर का बंटवारा एक अकड़ कर कहता अपने मन का हक ले लेंगे और दूसरा कहता तिल भर भूमि न बँटने देंगे पंच बना बैठा है घर में ¸ फूट डालने वाला मेरा देश जल रहा ¸ कोई नहीं बुझाने वाला।
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भीड़-भाड़ ने पुकारा लिया नहीं संग्रामी श्रमिकों का सहाराकिसानों ने यह सब संशय में निहारा छू न सकी उनको प्रवचन की धारासेठों ने थमाया हमदर्दी का दुधारा क्या करता आखिर बूढा बेचारा कूएं से निकल आया बाघ हत्यारा फंस गया उलटे हमदर्द बंजारा उतरा नहीं बाघिन के गुस्से का पारा दे न पाया हिंसा का उत्तर करारा क्या करता आखिर बूढा बेचारा जय हो लोकनायक:
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भीड़-भाड़ ने पुकारा लिया नहीं संग्रामी श्रमिकों का सहारा किसानों ने यह सब संशय में निहारा छू न सकी उनको प्रवचन की धारा सेठों ने थमाया हमदर्दी का दुधारा क्या करता आखिर बूढ़ा बेचारा कुएं से निकल आया बाघ हत्यारा फंस गया उलटे हमदर्द बंजारा उतरा नहीं बाघिन के गुस्से का पारा दे न पाया हिंसा का उत्तर करारा क्या करता आखिर बूढ़ा बेचारा जय हो लोकनायक:
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संदेह है कि-काजल के किनारे दिए की बाती है या काले बादलों के बीच बिजली?, रात के आँचल में चंद्रमा की कोर है या राहू के कंधे पर केतु?, कसौटी के पत्थर पर परखे जा रहे सोने की रेखा है या अँधेरे के दिल में उजाले का तीर?, काले बालों के बीच किसी सुन्दरी की मांग है या ढाल पर कामदेव का दुधारा रखा है?
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अनुनाद पर मेरी पिछली पोस्ट में “ सांस्कृतिक अत्याचार ” करने वाली अंकल एंड कंपनी का यह बड़ा अहसान रहा कि लिखने प्रकाशित होने से बहुत पहले ही ये सब ' जलवे ' (उनका प्रिय शब्द-जिसे वे नसीर की मेनस्ट्रीम में जाने की मारू कोशिश ' जलवा ' के बाद दुधारा बरतते थे) दिखा दिए और बाबू साहब को समझा दिया कि हिंदुस्तान में कला वला करने का मतलब किस बला से होता है।