लेख सार: भष्टाचार, अनीति, दुर्विनियोग तभी होते हैं जब हमारी अंतरआत्मा हमें ऐसा करने से रोकती नहीं हैं | प्रभु की सच्ची भक्ति में कमी के कारण आज हमने अपनी अतंरआत्मा की आवाज को दबा दिया है या शायद उसे मार ही दिया है | पूरा लेख नीचे पढ़े-
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परिवाद पत्र के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि चेक संख्या-110711 मुव0 19, 840/-रूपये, चेक संख्या-110712 दिनांक 30-4-2002 मुव0 1,07,026/-रूपये, चेक संख्या-110713 दिनांक 28-4-2002 मुव0 41,475/-रूपये, चेक संख्या-110714 व चेक संख्या-110718 दिनांक 6-5-2002 व 8-6-2002 मुव0 1,37,400/-रूपये व 59,000/-रूपये के बाबत अभियुक्तगण द्वारा अपराधिक दुर्विनियोग का आरोप लगाकर परिवाद प्रस्तुत किया।
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परिवादी / निगरानीकर्ता ने धारा 200 एवं 202 दंड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत बयानात दर्ज कराये तथा अभिलेखीय साक्ष्य पत्रावली पर दाखिल की, जिससे कि यह जाहिर होता है कि विपक्षी महेश गर्ग को बिजली का सामान 60,817/-रूपये का सप्लाई किया गया, जिसको कि श्री महेश गर्ग द्वारा दुर्विनियोग बेईमानी की नीयत से कर लिया गया।
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अब यहां अभियोजन पक्ष द्वारा यह विवाद किया गया है कि अभियुक्त रामचन्द्र ने उपर्युक्त दोनों निर्माण कार्यों पेटे क्रमशः 1, 13,566/-रू0 एवं 1,80,000/-रू. उठाने के बावजूद नियमानुसार वांछित निर्माण कार्य नहीं करवाकर न्यस्त राशि में से क्रमशः 44,240/-रू0 एवं 65365/-रूपये को अपने काम में लेकर उसका दुर्विनियोग करते हुये आपराधिक न्यासभंग किया।
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परिवादी का प्रार्थनापत्ऱ दिनांक 14-11-06 का प्रस्तुत है तथा विवेचना से यह स्पष्ट हो गया है कि मिस्टर जे0बी0ली अपराधी है तथा मामले में मिस्टर जे0बी0ली ने अपने ऊपर उत्तरदायित्व लिये जाने से गैस सिलेण्डर के दुर्विनियोग के लिए वह दोषी है तथा उत्तरवादी द्वारा अन्तिम रिपोर्ट का विरोध करते हुए पुनः विवेचना की याचना की गयी।
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भ्रष्ट लोक सेवकों द्वारा अवैध रूप से अर्जित सम्पत्ति तथा सरकारी राशि का दुर्विनियोग, गबन एवं सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं में भ्रष्टाचार की सूचना देने के आधार पर दर्ज काण्डों में आरोप पत्र समर्पित होने पर दस हजार से पचास हजार रूपये तक पुरस्कार देने की योजना दिसम्बर 2008 में लागू कर दी गयी है।
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धारा-410भा0दं0सं0 चुराई गई संपत्ति की परिभाषा इस प्रकार है-" वह सम्पत्ति, जिसका कब्जा चोरी द्वारा, उद्दापन द्वारा या लूट द्वारा अंतरित किया गया है और व संपत्ति, जिसका आपराधिक दुर्विनियोग किया गया है, या जिसके विषय में आपराधिक न्यासभंग किया गया है, चुराई हुई संपत्ति कहलाती है, चाहे वह अंतरण या वह दुर्विनियोग या न्यासभंग भारत के भीतर किया गया हो या बाहर।
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धारा-410भा0दं0सं0 चुराई गई संपत्ति की परिभाषा इस प्रकार है-" वह सम्पत्ति, जिसका कब्जा चोरी द्वारा, उद्दापन द्वारा या लूट द्वारा अंतरित किया गया है और व संपत्ति, जिसका आपराधिक दुर्विनियोग किया गया है, या जिसके विषय में आपराधिक न्यासभंग किया गया है, चुराई हुई संपत्ति कहलाती है, चाहे वह अंतरण या वह दुर्विनियोग या न्यासभंग भारत के भीतर किया गया हो या बाहर।
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उक्त समिति का कार्य उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्वानुमोदित सूची के अनुसार नवीन उपकरण / मशीन / उपस्कर आदि को नियमानुसार क्रय कर संस्था में स्थापित कराना सुनिश्चित करना था किन्तु उक्त समिति द्वारा मनमाना व्यवहार कर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्वानुमोदित सूची से इतर अनावश्यक मदों में धनराशि व्यय की गयी, जिसके कारण वित्तीय दुर्विनियोग एवं शासकीय धनराशि में दुरभिसंधि की प्रबल संभावना है।
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" इस तरीके से धारा-411भा0दं0सं0 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति चोरी, लूट, उद्दापन, आपराधिक दुर्विनियोग न्यासभंग से प्राप्त संपत्ति यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह चुराई गई संपत्ति है, बेईमानी से प्राप्त करेगा या रखेगा, तो वह दोनों में से किसी भॉति के कारावास से, जिसकी अवधि 3वर्ष तक की हो सकती है, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जा सकेगा।