इन समूह में ऐसी विपत्तिग्रस्त महिलाएँ, जिनके परिवार में कोई न हो, बलात्कार से पीड़ित महिला या बालिका, दुर्व्यापार से बचाई गईं महिलाएँ, ऐसिड विक्टिम / दहेज प्रताड़ित / अग्नि पीड़ित, कुवाँरी माताएँ या सामाजिक कु-प्रथा की शिकार महिलाएँ, परित्यक्ता / तलाकशुदा महिलाएँ, आश्रय / बालिका / अनुरक्षण गृह में रहने वाली बालिकाएँ अथवा महिलाएँ शामिल होंगी।
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चौंथी, किन्तु सबसे महत्वपूर्ण चुनौती है सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 10 मई 2013 को गुमशुदा बच्चों के संदर्भ में सुनाया गया फैसला, 2 अप्रैल 2013 को ‘ आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम ‘ में मानव (बाल) दुर्व्यापार से संबंधित धारा 370 तथा 370 ए और 14 नवम्बर 2012 को पारित ‘ बाल यौन अपराध रोक-थाम कानून ‘ के प्रावधानों को लागू कराना.